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    कांग्रेस का राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों से टकराव, राहुल का हल ही विपक्षी एकजुटता की मुहिम को बनाएगा सफल

    By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Tue, 20 Jun 2023 02:41 PM (IST)

    विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की नीतीश कुमार ने कवायद तो कर दी लेकिन आने वाले दिनों में एकजुटता की यह ट्रेन किस रफ्तार से दौड़ेगी इससे जुड़े कठिन सवालों का जवाब राहुल गांधी के फैसलों पर निर्भर करेगा।

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    कांग्रेस का राज्यों में क्षेत्रिय पार्टियों से टकराव, राहुल का हल ही विपक्षी एकजुटता की मुहिम को बनाएगा सफल

    पटना, राज्य ब्यूरो। विपक्षी एकजुटता को लेकर पटना में 23 जून की होने वाली महाबैठक कई कारणों से चर्चा का विषय बना हुआ है। विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की नीतीश कुमार ने कवायद तो कर दी, लेकिन आने वाले दिनों में एकजुटता की यह ट्रेन किस रफ्तार से दौड़ेगी, इससे जुड़े कठिन सवालों का जवाब राहुल गांधी के फैसलों पर निर्भर करेगा।

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    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो टूक अंदाज में पिछले दिनाें यह कहा कि अगर कांग्रेस द्वारा पश्चिम बंगाल में माकपा के साथ गठबंधन को बढ़ाया गया, ताे फिर वह कांग्रेस को मदद नहीं करेगी। यह सवाल उस समय आया है जब त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और माकपा ने एक साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है।

    बंगाल में कांग्रेस को तय करनी होगी रणनीति

    पांच दशक से भी अधिक समय से त्रिपुरा में कांग्रेस और माकपा एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी का सवाल विपक्षी एकजुटता के लिए महत्वपूर्ण होगा। दीदी का कहना है कि त्रिपुरा की तरह अगर पश्चिम बंगाल के लिए भी कांग्रेस का वही स्टैंड हुआ तो उनके लिए साथ रहने में परेशानी होगी।

    राहुल गांधी को 23 जून की बैठक में इस महत्वपूर्ण मसले पर सबसे सामने अपनी राय रखनी होगी। वहीं, इस संबंध में यह कहा जा रहा है कि विपक्षी एकजुटता का उद्देश्य भाजपा को रोकना है। अलग-अलग राज्यों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी विपक्षी दलों द्वारा निर्णय लिए जाएंगे। 

    महाबैठक में भाजपा से खिलाफ वन फार वन फार्मूला पर भी चर्चा की बात कही जा रही है। हालांकि, क्षेत्रीय पार्टियों के बीच इस नीति पर सहमित बनेगी या नहीं, यह संशय का विषय है। अलग-अलग राज्यों में इस फार्मूले को सक्रिय करना इतना आसान नहीं होगा।

    यूपी में सपा के साथ कांग्रेस कैसे बढ़ेगी आगे 

    यूपी के मामले में भी राहुल गांधी काे पटना की महाबैठक में पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट करनी होगी। यूपी में पिछली बार कांग्रेस ने सभी 80 सीटों पर अपने प्रत्याशी दिए थे। समाजवादी पार्टी ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 37 सीटों पर अपने प्रत्याशी दिए थे। सपा चाहेगी कि उसे कांग्रेस से अधिक सीटें मिली, जबकि कांग्रेस ने 80 सीटों को केंद्र में रखा हुआ है। ऐसे में यूपी के मसले पर राहुल गांधी का क्या स्टैंड होगा, यह विपक्षी एकजुटता के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।