Congress Damage Control: बागियों को साधने में पांच घंटे मशक्कत, अब दिल्ली दरबार में पेशी
कांग्रेस पार्टी बागियों को मनाने में जुटी है। पांच घंटे की मशक्कत के बाद भी बात नहीं बनी, अब बागियों को दिल्ली दरबार में पेश किया जाएगा। पार्टी नेता बागियों की शिकायतों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि पार्टी में एकता बनी रहे। दिल्ली में शीर्ष नेता बागियों से मुलाकात कर समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।

अशोक गहलोत, राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खरगे। जागरण आर्काइव
सुनील राज, पटना। बिहार चुनाव के बीच टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में भड़की आग पर काबू पाने के लिए शनिवार को दिल्ली से पटना आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिल्ली लौट गए हैं। इससे पहले आलाकमान के निर्देश पर पटना पहुंचते ही चुनाव पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, महासचिव केसी वेणुगोपाल और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अजय माकन ने गर्दनीबाग स्थित वार रूम में जिला पर्यवेक्षकों के साथ लंबी बैठक की। अब ये नेता दिल्ली में आलाकमान को अपनी रिपोर्ट देंगे और वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। हालांकि जबकि महासचिव अविनाश पांडेय फिलहाल बिहार में ही रहकर हालात पर नजर रख रहे हैं।
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में प्रदेश संगठन की स्थिति, चुनावी तैयारियों, टिकट बंटवारे के बाद मचे असंतोष और बागी तेवर दिखा रहे नेताओं के मूड पर विस्तृत चर्चा हुई। जिला पर्यवेक्षकों ने अपने-अपने इलाकों की राजनीतिक स्थिति और कार्यकर्ताओं के रुझान की जानकारी दी। बताया गया कि कई जिलों में टिकट न मिलने से पुराने कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक खुले तौर पर अपना विरोध जारी कर रहे हैं। कुछ जिलाध्यक्षों ने पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में काम करने से भी किनारा कर रखा है। संगठन को मिले फीडबैक के मुताबिक, जिन जिलों में स्थानीय स्तर पर संवाद कमजोर हुआ है, वहां पार्टी उम्मीदवारों की स्थिति प्रभावित हो रही है।
बैठक में अशोक गहलोत ने साफ कहा कि कांग्रेस संगठन को एकजुट करना फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने नाराज नेताओं से संवाद बढ़ाने और उन्हें फिर से पार्टी की मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया। गहलोत ने निर्देश दिया कि वे असंतुष्ट नेताओं से व्यक्तिगत मुलाकात कर उनकी शिकायतें सीधे दिल्ली तक पहुंचाएं। साथ ही यह भी कहा कि जो नेता पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयानबाजी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।
सूत्रों की माने तो बैठक में केसी वेणुगोपाल ने यह स्वीकार किया कि टिकट वितरण के दौरान कई जिलों में असंतोष पनपा है, लेकिन पार्टी उसे जल्द सुलझाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हर असंतुष्ट नेता की राय सुनी जाएगी और चुनाव से पहले संगठन को मजबूती देने की कोशिश जारी रहेगी। हालांकि टिकट न मिलने से नाराज पार्टी नेता और कुछ विधायक चुनावी प्रबंधन से दूरी बनाकर चल रहे हैं। ऐसे नेताओं में आनंद माधव, गजानंद शाही, छत्रपति यादव समेत अन्य पार्टी नेताओं के नाम हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार कांग्रेस के अंदर जारी असंतोष को गंभीरता से लेते हुए गहलोत और वेणुगोपाल ने खुद फील्ड रिपोर्ट एकत्र की है। उनका मानना है कि यदि नाराज नेताओं को समय रहते साध लिया गया, तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।
अल्लावारू बोले-नाराजगी जायज
बिहार कांग्रेस प्रभारी अल्लावारू ने पहली बार टिकट न मिलने पर पार्टी के नेताओं की नाराजगी की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा हम मानते हैं कि कुछ कार्यकर्ताओं को टिकट न मिलने की नाराजगी है, जो जायज भी है। परंतु उम्मीदवारों के अनुसार प्रत्येक सीट पर टिकट देना संभव नहीं । हम सभी से बातचीत करेंगे और सबको साथ लेकर चलेंगे।

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