चमचमाता 'चिराग': 22 सीट पर 'बिहारी फर्स्ट', डबल इंजन सरकार में बढ़ेगा कद?
चिराग पासवान के नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने बिहार विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन ने उन्हें एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में स्थापित किया है और विपक्षी दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। एलजेपीआर ने युवाओं और बदलाव चाहने वालों को आकर्षित किया है।
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डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझान में एनडीए की भारी बहुमत से सरकार बनती दिख रही है। यह चुनाव जदयू प्रमुख नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दमदार जोड़ी के लिए याद किए जाएगा। हालांकि, इस चुनाव में एक युवा नेता ने भी खुद को स्थापित कर दिया है। वो नाम है चिराग पासवान।
एनडीए में अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए 29 सीटें हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करने के बाद चिराग पासवान ने 2 सीटों पर बढ़त बनाकर अपनी क्षमता साबित कर दी है। उनकी पार्टी का अभी स्ट्राइक रेट करीब 72% है।
आपको बता दें कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में भी चिराग की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था। लोकसभा में लड़ी गई सभी पांच सीटों पर LJPR ने जीत हासिल की थी।
वहीं, 2020 में तत्कालीन संयुक्त लोजपा ने जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के साथ मतभेदों के कारण स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा और 130 से अधिक सीटों पर लड़ी गई सीटों में से केवल एक पर ही जीत हासिल कर पाई।
हालांकि, पार्टी ने अच्छा वोट शेयर हासिल किया और कई सीटों पर जदयू का खेल बिगाड़ा, फिर भी कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि चिराग में अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने का करिश्मा और राजनीतिक कौशल नहीं है।
दूसरी ओर, 2021 में चिराग के लिए हालात और भी बदतर हो गए में उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने कथित रूप से रामविलास पासवान की विरासत पर कब्जा करने की कोशिश की और पार्टी टूट गई। फिर दोबारा चिराग का स्ट्रगल शुरू हुआ।
43 साल की उम्र में चिराग ने खुद को एक युवा नेता के रूप में स्थापित किया। खुद को 'युवा बिहारी' कहते हुए और दलितों के हितों की रक्षा करने वाली अपनी पार्टी की जड़ों से जुड़े रहे।
चिराग और उनकी पार्टी के बाकी सदस्यों की कड़ी मेहनत 2024 के लोकसभा चुनावों में रंग लाई, जब पार्टी ने जिन पांचों सीटों पर चुनाव लड़ा, उन सभी पर जीत हासिल की और खुद को 100% स्ट्राइक रेट के साथ एक शानदार सियासी खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
अब जिस तरह की जीत की ओर चिराग बढ़ रहे हैं, उससे साफ है कि नई सरकार में उनकी पार्टी को तवज्जो मिल सकती है।

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