Bihar Voter List: मतदाताओं के मकान नंबर में '0' क्यों? निर्वाचन अधिकारी ने दी जानकारी; दावा-आपत्तियों पर कही ये बात
पटना में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जिला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने दावा-आपत्तियों के निपटारे में पारदर्शिता और समय सीमा का पालन करने का निर्देश दिया। गुंजियाल ने कहा कि हर योग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए। उन्होंने बूथ स्तरीय अधिकारियों को एजेंट्स के साथ काम करने के लिए कहा।

राज्य ब्यूरो, पटना। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के उपरांत प्रारूप सूची को लेकर दावा-आपत्तियों का दौर जारी है। इसी क्रम में बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने सोमवार को सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों/जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की।
उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि दावा और आपत्तियों के निपटारे में किसी प्रकार की लापरवाही या कोताही नहीं बरती जाए और यह कार्य निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरी गंभीरता से पूर्ण कराएं। उन्होंने कहा कि प्रारूप मतदाता सूची में संशोधन एवं नए मतदाताओं के नाम जोड़ने की प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी के साथ की जानी चाहिए ताकि कोई भी पात्र मतदाता छूटने न पाए।
गुंजियाल ने विशेष जोर देते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य यह होना चाहिए कि हर योग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची में सम्मिलित हो जाए। लगभग दो घंटे चली इस बैठक में सीईओ ने जिलेवार समीक्षा की। उन्होंने जिला अधिकारियों से कहा कि बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) स्थानीय स्तर पर बूथ लेवल एजेंट्स के सहयोग से कार्य को अंजाम दें।
उन्होंने बताया कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण कार्य में सभी हितधारकों की सहभागिता अनिवार्य है, तभी यह प्रक्रिया सफल हो सकेगी। बैठक में अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी माधव कुमार सिंह, उप निर्वाचन पदाधिकारी अशोक प्रियदर्शी सहित सभी जिलों के जिलाधिकारी और निर्वाचक निबंधन अधिकारी (ईआरओ) भी उपस्थित हुए। गुंजियाल ने सभी जिलों को यह भी निर्देशित किया कि निर्धारित समय के भीतर सभी चरणों की निगरानी सुनिश्चित की जाए और किसी भी स्तर पर प्रक्रिया में ढिलाई नहीं रहे।
अफवाह व कयास को लेकर चर्चा
उधर, सोमवार को दिनभर कई बिंदुओं को लेकर अफवाह, कयास एवं चर्चा का दौर जारी रहा। इंटरनेट मीडिया एवं विभिन्न राजनीतिक दलों ने कई प्रश्न भी खड़े किए। अब तक अयोग को प्राप्त दावे एवं आपत्तियां अन्य मामलों के संदर्भ में प्राप्त सभी आवेदन बिना घोषणा प्रपत्रों के प्राप्त हुए हैं, जो निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है।
इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अलग-अलग पत्र जारी कर स्पष्ट अनुरोध किया जा चुका है, जिसे राजनीतिक दलों की बैठक में भी दोहराया गया था। 2003 की मतदाता सूची केवल ऐतिहासिक संदर्भ है। वर्तमान में नाम जोड़ने या पारिवारिक लिंकिंग के लिए दस्तावेज़ मांगना आवश्यक है, ताकि संबंध की जांच कर मतदाता का सत्यापन सुनिश्चित किया जा सके। यह कार्य निर्वाचन आयोग के स्थायी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत संचालित है।
मकान नंबर "0", "000" या "000/00" और प्रतीकात्मक मकान संख्या यह प्रविष्टि तब होती है, जब घर का वैध/स्थायी नंबर उपलब्ध नहीं होता। नए बने मकानों, ग्रामीण क्षेत्रों, झुग्गियों या अस्थायी बस्तियों में बीएलओ सूची को क्रमबद्ध करने एवं मतदाता पहचान में सुविधा के लिए अस्थायी (प्रतीकात्मक) मकान संख्या आवंटित करते हैं। यह केवल सूचीकरण और पहचान के लिए होती है, वास्तविक पते के लिए नहीं।
यह पहले से अपनाई जा रही तकनीकी एवं पारदर्शी पद्धति है, जो गणना प्रपत्र में प्री-फिल्ड डेटा के रूप में रही और ड्राफ्ट सूची में भी बनी रहती है। इसका उद्देश्य केवल सूची की शुद्धता और व्यवस्थित क्रम बनाए रखना है, न कि कोई अनियमितता करना।
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