Chaiti Chhath Puja 2025: उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा छठ महापर्व, बन रहा ये खास संयोग
Chaiti Chhath Puja 2025 लाखों छठ व्रतियों ने गुरुवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। पटना के 41 घाटों और 7 तालाबों पर श्रद्धालुओं ने सूर्य देव की पूजा-अर्चना की। चैत्र शुक्ल सप्तमी को मृगशिरा नक्षत्र शोभन याेग और रवियोग के सुयोग में छठ व्रती प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व संपन्न करेंगे।

जागरण संवाददाता, पटना। गुरुवार की शाम लाखों व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया। दोपहर तीन बजे से छठ व्रती व उनके परिजन शहर स्थित गंगा घाटों पर अर्घ्य देने के लिए पहुंचने लगे थे।
परिजन, पड़ोसी, मित्र आदि माथे पर दउरा, केला, ईख, नारियल लेकर चलते रहे। गांधी मैदान, बांस घाट , कलेक्ट्रेट घाट, दीघा घाट समेत शहर के 41 घाटों सात तालाबों पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ परिवार की कुशलता के लिए सूर्य देव से प्रार्थना की।
घरों से लेकर घाटों तक आस्था, उत्साह और उल्लास का माहौल दिखा। व्रतियों व उनके परिजनों ने शाम 6.10 बजे से अर्घ्य देना शुरू कर दिया और फिर देर शाम तक लोग अपने घरों को लौटते रहे। शुक्रवार की सुबह व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे और पारण के साथ महापर्व संपन्न होगा।
ग्रह-गोचरों का बना रहा संयोग
लोक आस्था के महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन छठ व्रतियों ने गुरुवार की रोहिणी नक्षत्र और आयुष्मान योग में घरों से लेकर घाटों तक, पार्कों से लेकर कृत्रिम तालाब और जलाशय में भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की।
चैत्र शुक्ल सप्तमी को मृगशिरा नक्षत्र, शोभन याेग और रवियोग के सुयोग में छठ व्रती प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व संपन्न करेंगे।
व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास का शुक्रवार को समापन होगा। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती एक दूसरे को मंगल टीका लगा कर शरबत, चाय, दूध पीने के बाद व्रत का पारण करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है।
सूर्य को अर्घ्य देने से यश, बल और बुद्धि में वृद्धि
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य जल में रक्त चंदन, लाल फूल, इत्र के साथ ताम्रपात्र में आरोग्य के देवता सूर्य को अर्घ्य देने से आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है। महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए सूर्य को दूध का अर्घ्य देना चाहिए।
प्रत्यक्ष देवता सूर्य को जल में गुड़ मिलाकर अर्घ्य देने से पुत्र और सौभाग्य का वरदान व कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
सूर्य देव की मानस बहन हैं षष्ठी देवी
षष्ठी देवी (छठी मैया) भगवान सूर्य की मानस बहन हैं । प्रकृति के षष्टम अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई हैं। उन्हें बालकों की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु द्वारा रची माया भी माना जाता है।
बालक के जन्म के छठे दिन भी षष्ठी मईया की पूजा की जाती है, ताकि बच्चे दीर्घायु और निरोग रहें। एक अन्य आख्यान के अनुसार कार्तिकेय की शक्ति हैं षष्ठी देवी। षष्ठी देवी को देवसेना भी कहा गया है। सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है।
स्कंद पुराण के मुताबिक राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है।
दूरी पर भारी पड़ी आस्था
शहर के कई घाटों पर गंगा किनारे से दो तीन किलोमीटर दूर चले जाने से व्रतियों को पैदल ही घाट तक जाना पड़ा। इन दूरी पर आस्था भारी पड़ी।
महेंद्रु, कलेक्ट्रेट, बांसघाट, कुर्जीघाट और दीघा घाट पर व्रतियों को डेढ़ से दो किमी तक अंदर जाना पड़ा। कई घाटों पर वाहन जाने और उनके पार्किंग की भी व्यवस्था की गई थी। व्रतियों की सुविधा के लिए कई घाटों पर बैरिकेडिंग की गई थी।
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