Bihar Politics: चेतन आनंद ने अपने पुराने फैसले को बदला, अब विधानसभा के नियमों का करेंगे पालन
Bihar Vidhan Sabha गुरुवार को बागी विधायक चेतन आनंद के मामले पर बिहार विधानसभा में बवाल के बाद आज माहौल नरम दिखा। माहौल नरम इसलिए हुआ क्योंकि चेतन आनंद ने अपने पुराने फैसले को बदलते हुए विधानसभा के नियमों का पालन करने का फैसला लिया। बता दें कि चेतन आनंद पहले आरजेडी से चुनकर विधायक बने थे लेकिन नीतीश कुमार के पलटने के बाद उन्होंने भी पलटी मारी दी।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News: विधानसभा में आज आनंद मोहने के बेटे चेतन आनंद को झुकना ही पड़ा और अपने पुराने फैसले को बदलना पड़ा। उन्हें अब विधानसभा द्वारा आवंटित सीट पर बैठा देखा गया। पहले वह मंत्रियों की सीट के पीछे बैठ जाते थे।
गुरुवार को आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने जमकर बवाल काटा था
गुरुवार को राजद ने इस मसले को लेकर काफी हंगामा किया था कि जिन सदस्यों को जो सीट आवंटित है उस पर वे नहीं बैठ रहे। हंगामा इतना अधिक बढ़ा था कि राजद के भाई वीरेंद्र मुख्यमंत्री की सीट पर बैठने का प्रयास करने लगे थे। मार्शलों की मदद से उन्हें हटाया गया था।
विधानसभा अध्यक्ष ने तब सदन को भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दिया था। राजद का निशाना चेतन आनंद व संगीता कुमारी पर था। चेतन आनंद राजद से एमएलए बने थे पर बाद में नीतीश कुमार का समर्थन करते हुए एनडीए में चले गए थे। शुक्रवार को जब विधानसभा में प्रश्नकाल आरंभ हुआ तो चेतन आनंद अपनी आवंटित सीट पर नजर आए।
चेतन आनंद पहले नियमों की कर रहे थे अनदेखी
चेतन आनंद विधानसभा में पहले मंत्रियों के लिए आवंटित दो-तीन बेंच के पीछे बैठ जाते थे। दो दिन पूर्व वह हम की विधायक ज्योति देवी के बगल में बैठे नजर आए। शुक्रवार को उनका एक प्रश्न था। वह अपनी आवंटित सीट पर थे और वहीं से सवाल किया। कई लोग घूमकर देखने लगे कि चेतन आनंद कहां बैठे हैं?
चेतन आनंद का सवाल शिवहर जिला मुख्यालय में आठ करोड़ रुपए की लागत से बने अस्पताल भवन से संबंधित था। उन्होंने यह कहा कि अस्पताल में एनेस्थेसिया के चिकित्सक नहीं रहने से आईसीयू चालू नहीं है। इसी तरह मेडेसिन चिकित्सक एवं स्टाफ की कमी के कारण काम बाधित है।
बिहार विधानसभा की कुछ बड़ी बातें इस प्रकार हैं:
- बिहार विधानसभा की स्थापना 1937 में हुई थी और इसका पहला अधिवेशन 22 जुलाई 1937 को हुआ था।
- बिहार विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष नंद किशोर यादव हैं और उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी हैं ।
- बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं, जिनमें से 38 अनुसूचित जाति और 2 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
- बिहार विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बन गई है।
- साल 1977 में, बिहार विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या 318 से बढ़ाते हुए 325 तक कर दी गई।
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