कैमरे ने बदल दी शहर में भीख मांगने वालों की तकदीर, बोले-अब नहीं फैलाएंगे किसी के सामने हाथ
हाथों में ढोल-झाल लिए नीली जर्सी पहने भिखारियों का समूह इन दिनों पटना के चौक-चौराहों पर शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाने को नुक्कड़ नाटक कर रहा है। उनकी इस पहल को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय और बिहार का समाज कल्याण विभाग सहयोग कर रहा है।

प्रभात रंजन, पटना। दूसरों के सामने हाथ फैलाकर भिक्षा मांगने वाले अब रंगमंच पर दिखाई देंगे। इन्हें 'आत्मनिर्भरता का पाठ' पढ़ाया जा रहा है। हाथों में ढोल-झाल लिए नीली जर्सी पहने जोगीरा गाते हुए भिखारियों का समूह इन दिनों पटना के चौक-चौराहों पर शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाने को नुक्कड़ नाटक कर रहा है। उनकी इस पहल को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय और बिहार का समाज कल्याण विभाग सहयोग कर रहा है।
कलाकारों ने सिखाईं रंगमंच की बारीकियां
पटना की सड़कों पर वर्षों से भीख मांग परिवार का पेट पालने वाले भिखारियों के समूह को नाट्य संस्थाओं ने हायर कर उन्हें रंगमंच की बारीकियों से अवगत कराया है। प्रयास नाट्य संस्था के मिथिलेश सिंह व उदय सागर आदि रंगकर्मी इन्हें प्रशिक्षित कर रहे हैं। मिथिलेश सिंह बताते हैं, सरकार की ओर से भिखारियों के पुनर्वास के लिए अच्छी पहल की जा रही। पटना शहर में दो हजार भिखारी हैं।
अब नहीं मांगेंगे भीख
नुक्कड़ नाटक के जरिए सरकारी योजनाओं की जानकारी दे रहे भिखारियों का दल सोमवार को दरभंगा हाउस काली मंदिर में अभिनय करता दिखा। अभिनय करने वाले शेरमल, सुशील, रोहित व देवा सहित दस लोगों की टीम लोगों का मनोरंजन कराने में जुटी थी। बातचीत में शेरमल ने बताया, पटना में हम लोग 10 साल से अधिक समय से भीख मांग गुजारा करते रहे हैं। अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के हैं। गांव से काम तलाशने पटना आए थे, लेकिन कार्य नहीं मिलने पर भीख मांगने लगे। सुशील ने बताया कि भीख मांगकर 300-400 रुपये मिल जाते थे, उससे परिवार चलता था। 'सक्षम' संस्था आत्मनिर्भर बनने का पाठ पढ़ा रही है। दैनिक मजदूरी के रूप में 400 रुपये भी दिया जा रहा है।
भिखारियों के लिए खोला जाएगा बैंक अकाउंट
विशेष सचिव, सामाजिक कल्याण विभाग, बिहार दयानिधान पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री भिक्षानिवृत्ति निवारण योजना के तहत पटना को भिखारी मुक्त करने का लक्ष्य है। मार्च तक इस कार्य को पूरा करना है। भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इनके बैंक अकाउंट भी खोले जाएंगे, जिससे वे बचत भी कर सकें। कई अन्य सरकारी योजनाएं भी चल रही हैं। ये योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं, इसलिए इन्हें पारिश्रमिक दिया जा रहा है। ये समूह पटना के चौक-चौराहों पर 31 मार्च तक नुक्कड़ नाटक के जरिए समाज में जागरुकता फैलाकर आत्मनिर्भर बनने में योगदान देंगे।
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