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    BSSC पेपर लीक : CAG का खुलासा, कोषागार में जमा नहीं हुए 71.85 करोड़

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Fri, 10 Feb 2017 10:36 PM (IST)

    पेपर लीक को लेकर चर्चा में आए बीएसएससी में एक और घोटाला सामने आया है। कैग के अनुसार आयोग ने परीक्षा शुल्क के रूप में प्राप्त 71.85 करोड़ रुपये कोषागार में जमा नहीं किए।

    BSSC पेपर लीक : CAG का खुलासा, कोषागार में जमा नहीं हुए 71.85 करोड़

    पटना [एसए शाद]। प्रश्नपत्र लीक के कारण सुर्खियों में आए राज्य कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) का एक और कारनामा सामने आया है। नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट ने कई वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया है।

    सबसे गंभीर मामला परीक्षा फीस के रूप में मिले 71.85 करोड़ रुपये का कोषागार में जमा नहीं किया जाना है। इसमें पोस्टल आर्डर के रूप में मिली 1.92 करोड़ की राशि भी शामिल है। डाटा इंट्री आपरेटरों की बहाली में हुई अनियमितता भी उजागर हुई है, जिसके कारण आयोग को 29.81 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

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    नवंबर, 2012 से लेकर मार्च, 2016 तक के लेखा की पड़ताल पर आधारित रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस के रूप में प्राप्त 69.93 करोड़ की राशि को कोषागार में समय पर जमा करना तो दूर इनका कैशबुक में इंद्राज भी नहीं किया जा रहा। आयोग ने कैग को इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि फीस आनलाइन प्राप्त की जाती है। कभी-कभी फीस वापस भी करनी होती है। ऐसे में परीक्षा प्रक्रिया समाप्त होने से पूर्व कोषागार में राशि जमा करना संभव नहीं है।

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    जवाब से असंतुष्ट कैग ने कहा है कि प्रथम चरण की परीक्षा की समाप्ति के बाद फीस वापस नहीं की जा सकती। यहां तो कई परीक्षाएं इस दौरान समाप्त हो चुकीं हैं। परीक्षा समाप्ति के बाद तो राशि कोषागार में जमा होनी चाहिए थी। पोस्टल आर्डर के माध्यम से प्राप्त 1.92 करोड़ की राशि के संबंध में आयोग ने कहा है कि 2011 तक पोस्टल आर्डर के माध्यम से राशि लेने की व्यवस्था थी। परीक्षा आयोजित करने में देरी की वजह से पोस्टल आर्डर जीपीओ को प्रेषित नहीं किए जाते थे।

    इस जवाब को भी कैग ने खारिज करते हुए कहा कि पोस्टल आर्डर की वैधता एक वर्ष के लिए ही होती है। इन्हें समय पर जीपीओ में जमा किया जाना चाहिए था, परीक्षा तो कभी भी ली जा सकती थी।

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    प्रश्नपत्र लीक मामले में आयोग के सचिव परमेश्वर राम के अलावा एक डाटा इंट्री आपरेटर(डीईओ) को भी गिरफ्तार किया गया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आयोग में 15 डीईओ के पद स्वीकृत हैं, जबकि वहां 24 डीईओ को भुगतान किया जा रहा है। स्वीकृत पद से अतिरिक्त भर्ती किए गए डीईओ को अबतक वेतन के रूप में अनियमित रूप से 29.81 लाख की राशि का भुगतान किया जा चुका है।

    पड़ताल में 13.74 लाख रुपये का विचलन भी उजागर हुआ है। सुरक्षा के लिए प्रतिनियुक्त गृह रक्षकों को कार्यालय व्यय मद से यह राशि दी गई है जबकि इसके लिए विशेष सेवा मद में पर्याप्त आवंटन उपलब्ध रहता है। वहीं 35 करोड़ रुपये का डीसी बिल भी लंबित है। ऐसी और भी कई वित्तीय अनियमितताओं का रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।