प्रशांत किशोर को अब उन्हीं की बोली-भाषा में मिलेगा NDA से जवाब, बिहार की सियासत में आएगा भूचाल
प्रशांत किशोर के बयानों पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा अब प्रशांत किशोर को उन्हीं की भाषा में जवाब देगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पीके पर तीखे हमले किए हैं। दिलीप ने पीके के साथ घूमने वाले लोगों को अपराधी बताया है। अन्य घटक दलों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। पीके के निशाने पर राजद कांग्रेस भाजपा और जदयू रहते हैं।

राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन और विशेषकर राजद के विरुद्ध जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) का रुख हमेशा आक्रामक रहा है। अब उनके शाब्दिक-प्रहार के दायरे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भी प्राय: आ जा रहा है। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल के विरुद्ध पीके के बयान बेहद तीखे रहे।
उसके बाद राजग और विशेषकर भाजपा ने यह तय किया है कि पीके को अब उन्हीं की बोली-भाषा में उत्तर दिया जाएगा। अभी तक भाजपा अपने शाब्दिक-प्रहार में संयम रखा करती थी। संभवत: आगे ऐसा नहीं हो। प्रत्युत्तर में पिछले दिनों दिए गए दिलीप के बयान से इसका आभास होता है।
पीके अभी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ पर हैं। इस यात्रा के दौरान ही उन्होंने कहा था कि दिलीप को इंटरनेट मीडिया की जानकारी नहीं। उनके आकाओं को तो स्वयं वे प्रशिक्षित किए हैं। इस बयान पर दिलीप ने साइबर थाने में पीके के विरुद्ध शिकायत दर्ज करा दी। उसके बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर पीके को लेकर विचार-विमर्श हुआ।
तय हुआ कि अब आगे से पीके को उन्हीं की शैली में उत्तर दिया जाएगा। ऐसा भाजपा सहित राजग के सभी घटक दल करेंगे। दिलीप के बयान से इसकी शुरुआत भी हो गई।
पिछले सप्ताह दिलीप ने कहा कि पीके के साथ घूमने वाले अधिसंख्य लोग या तो अपराधी हैं या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं। उनकी प्रचार सामग्री और तस्वीरें देखकर इसे सहजता से समझा जा सकता है। ऐसे लोगों से राज्य और समाज में अच्छे बदलाव की आशा व्यर्थ है।
राजग में भाजपा के अलावा जदयू, लोजपा (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक मोर्चा घटक दल हैं। बहरहाल भाजपा और जदयू की ओर से पीके के विरुद्ध आक्रामक बयानबाजी सुनने में तो आ रही, लेकिन दूसरे घटक दल चुपी लगाए हुए हैं। हालांकि, उनके विरुद्ध पीके भी आक्रामक नहीं।
पीके के प्रहार के दायरे में राजद और कांग्रेस के बाद भाजपा और जदयू रहते हैं। महागठबंधन और राजग के दूसरे घटक दलों की वे प्राय: चर्चा नहीं करते। लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के प्रति तो उनका रुख अभी तक अपनत्व वाला ही रहा है।
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