Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लालबाबू प्रकरण ने बिहार विधानमंडल में रचा काला अध्याय

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Sat, 01 Apr 2017 12:08 PM (IST)

    बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान बीजेपी एमएलसी लालबाबू राय द्वारा महिला सदस्य से छेड़खानी और उसके बाद उसके पति द्वारा मारपीट, यह घटना शर्मनाक है।

    लालबाबू प्रकरण ने बिहार विधानमंडल में रचा काला अध्याय

    पटना [सुभाष पांडेय]। पच्चीस- तीस साल से यह देखा जाता रहा है कि लंबे चलने वाले बजट सत्र के दौरान हंगामा और सदस्यों के अशोभनीय आचरण के कारण विधानसभा की कार्यवाही सुर्खियां बटोरती थीं। लेकिन इस बार का बजट सत्र विधान परिषद की कुछ शर्मनाक घटनाओं के लिए याद किया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राज्यहित से जुड़े गंभीर सवालों की बात आती थी तो विधान परिषद की चर्चा होती थी। माना यह जाता था कि वहां विस्तार से सवाल करने और सरकार को जवाब देने का मौका मिलता है।

    देर शाम तक चलने वाले उच्च सदन यानी विधान परिषद में प्रो.अरुण कुमार, प्रो.पीएन शर्मा, परमानंद सिंह मदन और शत्रुघ्न प्रसाद सिंह जैसे सदस्यों के समस्याओं और विधेयकों के संवैधानिक और कानूनी पहलुओं पर घंटों चलने वाले वाद विवाद को सुनने के लिए परिषद दीर्घा खचाखच भरी रहती थी। सदन का स्तर इस कदर गिर जाएगा यह बात कल्पना से भी परे थी।

    इस बार उच्च सदन में दो ऐसी घटनाएं हुई जो विधानमंडल की गरिमा को कलंकित करने के लिए पर्याप्त हैं। 

    सर्वाधिक शर्मनाक लालबाबू प्रकरण रहा। सदन के अंदर पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच हाथापाई और कपड़े फाडऩे की घटनाएं तो पहले भी हुई हैं लेकिन बिहार विधानमंडल के इतिहास में संभवत: यह पहली घटना है जब सदन की किसी महिला सदस्य ने उसी सदन के अपने सहयोगी सदस्य पर छेड़खानी का आरोप लगाया हो।

    इस मामले की पराकाष्ठा तो तब हुई जब तुरंत ही महिला सदस्य के पति जो विधानसभा के सदस्य भी हैं, ने आकर राबिनहुड स्टाइल में अपने ही दल के आरोपी विधान पार्षद की धुनाई कर दी।

    घेरे में आए माननीय की हिम्मत की दाद भी देनी होगी कि थोड़ी ही देर बाद वे विधान परिषद की कार्रवाई में भाग लेते बेहद सामान्य से दिखे। ऐसा लगा मानों कुछ हुआ ही नहीं। जबकि घटना परिषद के  कर्मचारियों के सामने हुई थी और इन्हीं कर्मचारियों ने बीच बचाव कर मामला शांत कराया था।

    अब यह मामला विधान परिषद की आचार समिति के पास विचाराधीन है। समिति के पहले चैयरमैन कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी रह चुके है। यह कमेटी उन्हीं के पहल पर गठित हुई थी। 

    यह भी पढ़ें: दिल्ली एमसीडी चुनाव में दांव आजमाने चले बिहार के राजनीतिक दिग्गज

    इससे सप्ताह भर पहले विधान परिषद में ही एक और अशोभनीय घटना हुई थी। सत्ता पक्ष के एक सदस्य की टोका टाकी से खिन्न होकर एक विपक्षी सदस्य ने उनपर ऐसे गंदे गंदे आरोप लगाए और गाली गलौज की जिसकी संसदीय लोकतंत्र में कल्पना भी नहीं की जा सकती है। 

    आश्चर्य तो यह है कि इस बजट सत्र के दौरान सात राजकीय विधेयक पारित हुए। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार, नंदकिशोर यादव, संजय सरावगी और मिथिलेश तिवारी जैसे सदस्यों ने इन विधेयकों पर मंत्रियों को इस तरह से घेरा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन संबंधी विधेयक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बचाव में खड़ा होना पड़ा।

    यह भी पढ़ें: BJP विधायक ने पत्नी से छेडख़ानी के आरोप में पार्टी के एमएलसी को पीटा