Bihar Election 2025: बिहार में 'जाति' पर चर्चा होगी तेज, विधानसभा चुनाव से पहले लिखी जा रही पटकथा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक बार फिर जाति पर चर्चा तेज होने जा रही है। दोनों गठबंधन की ओर से इस पर फोकस किया जाएगा। इसके तहत रैली सम्मेलन आदि आयोजित किए जाने की पटकथा लिखी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी परोक्ष रूप से जाति के समीकरण को साधने के प्रयास में है। उधर राजद पहले ही सामाजिक न्याय परिचर्चा का एलान कर चुका है।

रमण शुक्ला, पटना। Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की उलटली गिनती शुरू होने के साथ ही राजनीतिक दलों में सूक्ष्म मत प्रबंधन की गोटियां बिछने लगी है। दोनों गठबंधन में पार्टी के रणनीतिकार भी सर्वे रिपोर्ट, पूर्व के परिणाम एवं सत्ता विरोधी हवा के रुख को भांपते हुए मतदाताओं को साधने के जतन में अभी जुट गए हैं।
राजद की ओर से शुरू किए गए विधानसभावार सामाजिक न्याय परिचर्चा की काट के तहत भाजपा ने जातिगत सम्मेलन कराने का दायित्व पार्टी के सिपहसालारों को दिया है।
इसके साध्य सामाजिक महापुरुष एवं आराध्य होंगे। हालांकि, इसमें सीधे तौर पर पार्टी की भूमिका नहीं होगी। फिर भी भाजपा का प्रयास अक्टूबर तक 1000 से 1200 के बीच जातिगत सम्मलेन कराने की है।
लक्ष्य में प्रति विधानसभा क्षेत्र कम से कम चार से पांच सम्मेलन सम्मिलित किया गया है। मतों के गणित में विधानसभावार सामाजिक वर्चस्व या सर्वाधिक आबादी वाली जातियां होंगी।
उदाहरण के तौर पर जिस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति में पासवान (दुसाध), ऋषिदेव, सदा, मुसहर, मांझी, भुइयां एवं राजावर समाज के मतदाता अधिक हैं तो उनमें गौरेया बाब, रविदास महाराज, डा. भीम राव आंबेडकर या अन्य सामाजिक महापुरुषों के नाम पर सम्मेलन के आयोजन का दायित्व पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिया गया है। कार्यक्रम स्थल विधानसभा क्षेत्र की हृदय स्थली होगी।
इसी तरह क्षत्रिय समाज की बहुलता वाली सीट पर महाराणा प्रताप या वीर कुंवर सिंह आदि के नाम पर आयोजन किया जाएगा तो वैश्य मतदाताओं को साधने के लिए भामा शाह सम्मेलन कराने की पटकथा लिखी जा रही है।
आयोजन की तिथि तय करने के उपरांत प्रदेश नेतृत्व की ओर पार्टी के जाति विशेष के वरिष्ठ नेताओं, केंद्र या राज्य सरकार में सम्मिलित मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, पार्टी पदाधिकारी को संबोधन के लिए मुख्य अतिथि, विशिष्ठ अतिथि एवं सम्मेलन के उद्घाटनकर्ता के तौर पर भेजा जाएगा।
- भाजपा का जातिगत सम्मेलन कराने का लक्ष्य
- कुर्मी और कुशवाहा समाज पर फोकस
- चुनाव के लिए सूक्ष्म मत प्रबंधन का प्रयास
- चुनाव में जातिगत सम्मेलन से वोट साधने का प्लान
कमजोर सीट पर जोर
केंद्र से लेकर भाजपा शासित प्रदेशों में पिछले एक दशक में पार्टी की ओर से नेतृत्व से वंचित समाज को उभारने पर विशेष जोर है।
संगठन से लेकर सरकार में भागीदारी बढ़ाने के साथ सर्व समाज को लेकर चलने की रणनीति पर भी भाजपा फोकस कर रही है।
इसका उदाहरण नीतीश सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार है। वर्तमान में नीतीश सरकार के केंद्र भाजपा की ओर से सर्वोपरि लक्ष्य में कुशवाहा (कोईरी) कुर्मी, धानुक एवं चंद्रवंशी समाज हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं उप मुख्यमंत्री रहते हुए सम्राट चौधरी ने कुर्मी समाज की नेत्री अनामिका सिंह पटेल को विधान परिषद भेजा तो चंद्रवंशी समाज के वरिष्ठ नेता डा. भीम सिंह को राज्यसभा भेजकर दूरगामी संदेश दिया।
दिलीप जायसवाल ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभालने के उपरांत कुर्मी समाज के कृष्ण कुमार मंटू को नीतीश मंत्रिमंडल में सम्मिलित कर भाजपा कोटे से पहली बार कुर्मी समाज को प्रतिनिधित्व दिया।
हालांकि, संगठन से जुड़े पदधारकों का कहना है कि कुर्मी एवं कुशवाहा समाज के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के पीछे पार्टी के सूक्ष्म रणनीति प्रदेश संगठन महामंत्री भीखू भाई दलसानिया की रणनीति सर्वोपरि रही है।
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