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भाजपा ने फिर की बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने कही थी ये बात

भाजपा के राज्‍यसभा सदस्‍य राकेश सिन्हा ने बख्तियारपुर का नाम शीलभद्र याजी नगर करने की मांग की है। उनका तर्क है कि महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी आक्रांता बख्तियार खिलजी के नाम से छूटे शहर का पिंड।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 03:31 PM (IST)
भाजपा ने फिर की बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने कही थी ये बात
बख्तियारपुर का नाम शीलभद्र याजी नगर करने की मांग। जागरण

पटना, राज्य ब्यूरो। उद्धव सरकार (Uddhav Thackeray Government) के त्यागपत्र से पहले महाराष्ट्र के दो शहरों औरंगाबाद और उस्मानाबाद (Aurangabad and Usmanabad) के नाम बदलकर संभाजी नगर और धाराशिव करने के बाद अब बिहार में भी ऐसी मांग जोर पकड़ने लगी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक और भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने बिहार सरकार से बख्तियारपुर का नाम बदलकर शीलभद्र याजी नगर करने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) के बाद राकेश सिन्हा (Rajya Sabha Member Rakesh Sinha) भाजपा के दूसरे प्रमुख नेता हैं, जिन्होंने बख्तियारपुर का नाम बदलने पर जोर दिया है।

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हमलावर था बख्तियार खिलजी, आठ हजार छात्रों की की थी हत्‍या 

राकेश सिन्हा के मुताबिक बख्तियारपुर के रहने वाले शीलभद्र याजी की स्वतंत्रता संग्राम में बड़ी भूमिका थी। आजाद हिंद फौज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बाद वे दूसरे नंबर के सहयोगी थे। बख्तियार खिलजी हमलावर था। हमारी विरासत का विनाश करने वाला था। उसने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय जलाते हुए आठ हजार छात्रों और दो हजार शिक्षकों की हत्या कर दी थी। शिक्षकों और छात्रों का कसूर यही था कि वे सभी तार्किक और प्रयोगधर्मिता के पथिक थे। हमारा दुर्भाग्य है कि ऐसे आक्रमणकारी के नाम पर आज भी बख्तियारपुर को जाना जाता है। स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में बिहार सरकार को इसका नाम बदलकर शीलभद्र याजी नगर जरूर करना चाहिए। राकेश सिन्हा ने इस संबंध में इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट भी डाला है।

ज्ञान-विज्ञान का बड़ा केंद्र था नालंदा विश्‍वविद्यालय

गौरतलब है कि नालंदा विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना सम्राट कुमार गुप्‍त ने कराई थी। यह विश्‍वविद्यालय इतना प्रसिद्ध था कि उस समय भी यहां देश-विदेश के छात्र अध्‍ययन करने पहुंचते थे। बौद्ध धर्म, व्‍याकरण, विज्ञान, ज्‍योतिष समेत कई विषयों की शिक्षा यहां दी जाती थी। इस विश्‍वविद्यालय की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां 10 हजार छात्राें के पढ़ने की व्‍यवस्‍था थी। 15 सौ से ज्‍यादा अध्‍यापक थे। 12वीं सदी के अंत में इसपर एक-एक कर कई हमले हुए। 1193 में खिलजी वंश के शासक बख्तियार खिलजी ने विनाशकारी हमला किया। उसी बख्‍त‍ियार खिलजी के नाम पर इलाके का नाम रखे जाने की बात कही जाती है। हालां‍कि‍, सीएम नीतीश कुमार पहले ही इस मांग को नकार चुके हैं। 


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