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    बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, वोटरों को करना होगा ये काम; नहीं तो कट जाएगा नाम

    By Agency Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Mon, 30 Jun 2025 09:42 AM (IST)

    चुनाव आयोग जल्द ही 2003 की बिहार मतदाता सूची वेबसाइट पर डालेगा। इससे 4.96 करोड़ मतदाताओं को नामांकन फार्म के साथ सूची का हिस्सा संलग्न करने में मदद मिलेगी जिससे उन्हें जन्मतिथि या जन्मस्थान का प्रमाण नहीं देना होगा। बाकी तीन करोड़ मतदाताओं को सत्यापन के लिए दस्तावेज देने होंगे। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी योग्य नागरिक मतदाता सूची से न छूटे।

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    चुनाव आयोग जल्द ही 2003 की बिहार मतदाता सूची वेबसाइट पर डालेगा। फाइल फोटो

    नई दिल्ली, पीटीआई। चुनाव आयोग जल्द ही 2003 की बिहार मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा ताकि इसमें शामिल करीब 4.96 करोड़ मतदाता अपने नाम का संबंधित हिस्सा निकाल कर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए नामांकन फार्म के साथ संलग्न कर सकें।

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    ऐसे में इन मतदाताओं को अपनी जन्मतिथि या जन्म स्थान साबित करने के लिए कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं है। इनके अलावा राज्य में करीब तीन करोड़ मतदाता और बचे हैं। ऐसे मतदाताओं को सत्यापन के लिए अपने जन्मस्थान या जन्मतिथि का प्रमाण देना होगा।

    इसके अलावा अगर किसी मतदाता के माता या पिता में से किसी का नाम एक जनवरी 2003 तक मतदाता सूची में शामिल रहा है तो ऐसे व्यक्ति को इस विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान नामांकन के लिए इनसे संबंधित कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी, चाहे उस व्यक्ति की जन्मतिथि कुछ भी हो।

    पुनरीक्षण प्रक्रिया पर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी योग्य नागरिक मतदाता सूची से न छूटे और कोई भी अपात्र व्यक्ति इसमें शामिल न हो।

    कई विपक्षी दलों ने कहा है कि गहन पुनरीक्षण से राज्य मशीनरी का उपयोग करके मतदाताओं को जानबूझकर बाहर करने का खतरा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जो भी इस प्रक्रिया का विरोध कर रहा है वह अनुच्छेद 326 का भी विरोध कर रहा है और उन्हें अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

    अनुच्छेद 326 में कहा गया है कि सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जाना चाहिए और जो अपात्र हैं या भारत के नागरिक नहीं हैं, वे मतदाता सूची का हिस्सा नहीं हो सकते।

    चुनाव आयोग द्वारा बिहार की चुनावी मशीनरी को जारी निर्देश के अनुसार, 4.96 करोड़ मतदाता जो कुल मतदाताओं का 60% हैं और जो 2003 की विशेष व्यापक पुनरीक्षण सूची में शामिल थे, उन्हें अपनी जन्मतिथि या जन्म स्थान साबित करने के लिए कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते वे पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित मतदाता सूची का प्रासंगिक भाग संलग्न करें।

    शेष तीन करोड़ मतदाताओं को अपना जन्म स्थान या जन्मतिथि साबित करने के लिए 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से एक प्रदान करना होगा।