नौकरी छोड़ी, नवाचार अपनाया... बिहार के दो स्टार्टअप्स ने रची सफलता की कहानी, करोड़ों के सपनों की ओर बढ़ता राज्य
बिहार की स्टार्टअप नीति नवाचार को बढ़ावा दे रही है। न्यूरोपाइ रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआई ब्रेनमैपिंग से मानसिक स्वास्थ्य) और ग्रेनएक्स (कृषि-तकनीक, किसान ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लगभग दो दशक के कार्यकाल में बिहार ने जहां सरकारी नौकरियों और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में नई पहचान बनाई है, वहीं अब राज्य स्टार्टअप और उद्यमिता के क्षेत्र में भी तेजी से उभर रहा है। बिहार सरकार के उद्योग विभाग की बिहार स्टार्टअप योजना आज उन युवाओं के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी है, जो सुरक्षित नौकरी छोड़कर अपने आइडिया के दम पर समाज और अर्थव्यवस्था में बदलाव लाना चाहते हैं।
पिछले पांच वर्षों में इस योजना के तहत बिहार में हजारों स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन मिला है। इनमें से कई स्टार्टअप ऐसे हैं, जो न सिर्फ रोजगार सृजन कर रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य, कृषि और तकनीक जैसे अहम क्षेत्रों में जमीनी बदलाव भी ला रहे हैं। इन्हीं में दो स्टार्टअप्स की कहानी आज खास तौर पर चर्चा में है, एक मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई उम्मीद जगा रहा है, तो दूसरा किसानों की आमदनी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
AI से ब्रेनमैपिंग, मानसिक स्वास्थ्य को नई दिशा
वैशाली जिले से शुरू हुआ न्यूरोपाइ रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड आज बिहार में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई मिसाल बन चुका है। इसके संस्थापक रवि आनंद ने एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने के बजाय अपने तकनीकी ज्ञान को समाज के लिए उपयोगी बनाने का फैसला लिया।
कोविड महामारी के बाद डिप्रेशन, एंग्जायटी और सुसाइडल टेंडेंसी के बढ़ते मामलों को देखते हुए रवि आनंद ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ब्रेनमैपिंग सॉफ्टवेयर विकसित किया। इस तकनीक से मानसिक बीमारियों की शुरुआती पहचान संभव हो सकी है। साथ ही, उन्होंने मनोचिकित्सकों और काउंसलर्स की एक विशेषज्ञ टीम भी तैयार की है, जो मरीजों के इलाज में अहम भूमिका निभा रही है।
रवि आनंद बताते हैं कि स्टार्टअप की शुरुआती अवस्था में बिहार स्टार्टअप योजना के तहत मिली 10 लाख रुपये की सहायता उनके लिए बेहद मददगार साबित हुई। आज उनका स्टार्टअप स्कूलों और कॉलेजों में सेमिनार और वर्कशॉप के जरिए जागरूकता फैला रहा है, जबकि गंभीर मरीजों को मुफ्त सेवाएं भी दी जा रही हैं। वर्ष 2022 में शुरू हुआ यह स्टार्टअप आज सालाना 2.5 से 3 लाख रुपये तक का राजस्व अर्जित कर रहा है।
ग्रेनएक्स: किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल
कृषि क्षेत्र में बदलाव की कहानी लिख रहा है ग्रेनएक्स, जिसकी शुरुआत वर्ष 2020 में हुई। इसके फाउंडर रूपेश मंगलम ने चेन्नई से बीटेक करने के बाद छह साल तक टीसीएस में नौकरी की। कोविड के दौरान वर्क फ्रॉम होम के समय वे अपने गांव जहानाबाद लौटे, जहां किसानों की समस्याओं ने उन्हें कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया।
रूपेश ने किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ते हुए काले चावल और काले गेहूं जैसी उन्नत फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। बिहार स्टार्टअप योजना की मदद से उन्होंने किसानों को बीज उपलब्ध कराए और फसल तैयार होने पर खुद खरीद की व्यवस्था की। इसका परिणाम यह हुआ कि किसानों की आमदनी में 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई।
ग्रेनएक्स की सबसे बड़ी उपलब्धि इसकी सॉइल टेस्टिंग मशीन है, जिससे खेती की लागत में भारी कमी आई है। इस नवाचार से प्रभावित होकर बिहार सरकार ने कृषि विभाग के लिए 470 मशीनों का ऑर्डर दिया है। मार्च 2026 तक हर प्रखंड में ये मशीनें उपलब्ध कराने का लक्ष्य है, जिससे किसानों की लागत 30–32 प्रतिशत तक घटेगी और मुनाफा 50–55 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।
स्टार्टअप से सशक्त होता बिहार
AI आधारित हेल्थकेयर से लेकर कृषि में तकनीकी नवाचार तक, ये दोनों स्टार्टअप इस बात के गवाह हैं कि बिहार की स्टार्टअप नीति अब सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है। बिहार के युवा उद्यमी अपने आइडिया और हौसले से न केवल रोजगार पैदा कर रहे हैं, बल्कि राज्य को विकास और आत्मनिर्भरता की नई दिशा में भी आगे बढ़ा रहे हैं।

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