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    प्राइमरी स्कूलों से जोड़े गए बिहार के 17 हजार आंगनबाड़ी, 70 हजार केंद्रों के लिए भी की जा रही ये खास प्लानिंग

    Updated: Wed, 26 Jun 2024 10:06 AM (IST)

    Bihar Anganwadi Centers बिहार के करीब 17 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों को राज्य के सरकारी प्राइमरी स्कूलों के साथ जोड़ा गया है। विभाग के मुताबिक नई शिक्षा नीति के तहत सभी स्कूलों में पूर्व प्रारंभिक शिक्षा शुरू की जानी है। इसके लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राइमरी स्कूलों से जोड़ने का काम किया जा रहा है जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा

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    आंगनबाड़ी केंद्रों की सुविधा बेहतर बनाने की कवायद में जुटा विभाग।

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों से 17 हजार आंगनबाड़ी केंद्र जोड़े गए हैं। शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों से आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ने का कार्य पूरा करने का निर्देश जिलों को दिया है।

    प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के मुताबिक, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यालयों में पूर्व प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ किया जाना है। इसके लिए प्रारंभिक विद्यालयों से आंगनबाड़ी केंद्र जोड़े जा रहे हैं।

    पूरा हो चुका है आंगनबाड़ी सेविकाओं के प्रशिक्षण का कार्य

    निदेशालय के मुताबिक, विद्यालयों के परिसर में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों के सशक्तीकरण हेतु आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षित दिया जा चुका है।

    राज्य में एक लाख 14 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें तकरीबन 17 हजार आंगनबाड़ी केंद्र प्रारंभिक स्कूलों से जोड़े गए हैं।

    40 हजार आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जिनके पास अपना भवन है। बाकी, तकरीबन 70 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है। इसके लिए कमेटी बनी है।

    सभी आंगनबाड़ी को प्राइमरी स्कूलों से जोड़ने की कवायद  

    प्रारंभिक विद्यालयों के पास जगह की कमी है। ज्यादातर विद्यालयों के पास इतनी जगह नहीं है कि उसके परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र चल सकें, इसलिए किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र के लिए कम-से-कम दो कमरे एवं शौचालय चाहिए। इसमें एक कमरा बच्चों के लिए और एक कमरा किचेन के लिए होता है।

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    एक ही परिसर में प्रारंभिक विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र के संचालन के मामले में शिक्षा विभाग एवं समाज कल्याण विभाग संयुक्त रूप से काम कर रहा है।

    इस बात की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है कि विद्यालयों से जोड़े गए आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन का प्रशासनिक जिम्मा संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को दिया जाना चाहिए।

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