Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बगावत और हार ने विधानसभा में बिगाड़ दी महागठबंधन की सूरत, विधायकों के पाला बदलने से बदला चुनावी समीकरण

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 06:09 AM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राजग का दबदबा देखने को मिला। 2020 के चुनाव में राजग कमजोर थी पर अब स्थिति बदल गई है। विधायकों के पाला बदलने से विधानसभा का गणित बदल गया है। महागठबंधन के कई विधायकों ने पाला बदल लिया है जिससे राजग को फायदा हुआ है।

    Hero Image
    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। 2020 में विधानसभा चुनाव का परिणाम आया तो कैमूर जिला में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की लुटिया पूरी तरह से डूब चुकी थी। अब वहां के चारों विधायक राजग के पाले में हैं।

    इन पांच वर्षों में विधायकों का मन-ओ-मिजाज ऐसा बदला कि विधानसभा का दलीय गणित ही बदल गया। इसमें चार सीटों पर हुए उप चुनाव का निर्णायक योगदान रहा।

    आज स्थिति यह है कि 115 विधायकों के साथ 17वीं विधानसभा में शुरुआत करने वाले महागठबंधन के पास मात्र 103 विधायक रह गए हैं।

    कागजों में यह संख्या 111 इसलिए बताई जा रही, क्योंकि पाला बदलने वालों का मामला फाइलों में ही दबा रह गया।

    आपात और अपरिहार्य स्थिति नहीं बनी तो मानसून सत्र 17वीं विधानसभा का आखिरी सत्र होगा। इसके साथ ही विधायकों के पाला बदल प्रकरण का भी पटाक्षेप हो जाएगा। सत्ता के उलट-फेर के बीच पिछले वर्ष जनवरी में यह पाला बदला हुआ था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देह से विपक्ष और दिल-ओ-दिमाग से सत्ता पक्ष के साथ

    तब राजद के चार और कांग्रेस के दो विधायक राजग के पक्षधर हो गए थे। राजद और कांग्रेस ने अपनी ओर से उनकी सदस्यता समाप्त कराने का हर जतन किया, लेकिन हुआ वही, जो होना था। वे विधायक देह से विपक्ष के साथ और दिल-ओ-दिमाग से सत्ता पक्ष के साथ हैं।

    अब राजद के इन विधायकों में भरत बिंद और विभा देवी का नाम भी जोड़ लेना उचित रहेगा। इस तरह आज की तारीख में यह संख्या आठ हो जाती है।

    उपचुनाव में गंवाई तीन सीटें

    विधानसभा की चार सीटों पर हुए उप चुनाव में महागठबंधन ने अपने हिस्से की तीनों सीटें (तरारी, रामगढ़, बेलागंज) गंवा दी। चौथी सीट (इमामगंज) हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) की थी, जिस पर उसे दोबारा जीत मिली। इस तरह राजग यहां तीन के लाभ में रहा। तरारी और रामगढ़ में भाजपा की जीत हुई थी, जबकि बेलागंज में जदयू की।

    2020 में बहुजन समाज पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर जीते एक-एक विधायक पहले ही जदयू के हो चुके थे। इस जोड़-तोड़ में सबसे अधिक लाभ जदयू को मिला, तो भाजपा भी विधानसभा में दूसरे से पहले क्रमांक की पार्टी बन गई, जबकि सजायाफ्ता होने के कारण उसके एक विधायक (मिश्रीलाल यादव) की सदस्यता समाप्त हो चुकी है।

    राजद पहले से दूसरे क्रमांक पर खिसक आया, जबकि उसके साथ एआईएमआईएम के चार विधायक भी जुड़ चुके हैं। वहां वैधानिक रूप से दल बदल हो चुका है, लेकिन भाजपा के हमराह हो चुके विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के चारों विधायक आज भी कागज में उसी के बने हुए हैं।

    पाला बदलने वाले विधायक 

    सूर्यगढ़ा के प्रह्लाद यादव, शिवहर के चेतन आनंद, मोकामा की नीलम देवी, मोहनिया की संगीता कुमारी, चेनारी के मुरारी प्रसाद गौतम, बिक्रम के सिद्धार्थ सौरव। इनमें अब नवादा की वीणा देवी और भभुआ के भरत बिंद का नाम भी जुड़ गया है।

    विधानसभा का गणित

    • दल : 2020 : 2025
    • राजद : 75 : 77
    • भाजपा : 74 : 79
    • जदयू : 43 : 45
    • कांग्रेस : 19 : 19
    • माले : 12 : 11
    • हम : 04 : 04
    • एआईएमआईएम : 05 : 01
    • वीआइपी : 04 : 00
    • भाकपा : 02 : 02
    • माकपा : 02 : 02
    • लोजपा : 01 : 00
    • बसपा : 01 : 00
    • निर्दलीय : 01 : 02
    • रिक्त : 00 : 01