Bihar Politics: पहले भ्रष्टाचार, अब परिवारवाद के नाम पर राजद से तोड़ा नाता; जब 1994 में लालू से ठन गई थी नीतीश की लड़ाई
पहले भ्रष्टाचार और अब परिवारवाद का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद से नाता तोड़ लिया। 1994 में तत्कालीन जनता दल से नीतीश कुमार का अलगाव भी उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की कार्यशैली को लेकर हुआ था। तब उन्होंने लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार और अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। जनता दल से अलग हुए। जनता दल जार्ज के नाम से नई पार्टी बनाई।
राज्य ब्यूरो, पटना। पहले भ्रष्टाचार और अब परिवारवाद का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद से नाता तोड़ लिया। 1994 में तत्कालीन जनता दल से नीतीश कुमार का अलगाव भी उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की कार्यशैली को लेकर हुआ था।
तब उन्होंने लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार और अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। जनता दल से अलग हुए। जनता दल जार्ज के नाम से नई पार्टी बनाई। बाद में समता पार्टी बनाकर लगातार लड़े। करीब 21 वर्ष की लड़ाई के बाद नीतीश कुमार 2015 में लालू प्रसाद से जुड़े।
2017 में तेजस्वी की जांच को लेकर हुआ टकराव
साझे में विधानसभा चुनाव लड़े और राजद की मदद से सरकार बनाई, लेकिन जुलाई 2017 में उनका लालू प्रसाद से टकराव हो गया। कारण यह कि कुछ केंद्रीय जांच एजेंसियां उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछताछ कर रही थीं।
नीतीश ने तेजस्वी से आग्रह किया था कि वे जांच के बारे में जनता को बता दें। अगर यह संभव नहीं है तो बंद लिफाफे में अपना लिखित पक्ष दे दें। मगर, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद इसके लिए तैयार नहीं हुए।
अंतत: 25 जुलाई 2017 को नीतीश ने त्याग पत्र दे दिया, उसके अगले दिन भाजपा की मदद से उनकी सरकार बन गई। इस समय जमीन के बदले नौकरी के मामले में सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम है, लेकिन यह अलगाव का कारण नहीं बना।
नीतीश ने रविवार को कहा कि महागठबंधन सरकार में उन्हें काम करने में परेशानी हो रही थी, लेकिन उससे पहले 24 जनवरी को आयोजित कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह में नीतीश ने इशारे में परिवारवाद पर प्रहार किया। उसी समय राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा शुरू हो गई कि राजद के साथ नीतीश का संबंध लंबा नहीं चलेगा।
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