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    बिहार के प्रत्येक इंजीनियरिंग-पॉलिटेक्निक कॉलेज में होने जा रहा नया बदलाव, छात्रों को अब से मिलेगी यह सुविधा

    Updated: Sun, 02 Feb 2025 08:01 PM (IST)

    बिहार के प्रत्येक इंजीनियरिंग-पॉलिटेक्निक कॉलेज में नया बदलाव होने जा रहा है जिसका लाभ सीधे छात्रों को पहुंचेगा। अब राज्य के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में लैंग्वेज लैब स्थापित किया जाएगा। विभाग ने योजनाओं की कार्य प्रगति भूमि उपलब्धता एवं आवंटित राशि के खर्च के बारे में सहायक निदेशकों से भी जानकारी मांगी हैजिनके ऊपर योजनाओं की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी है।

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    इंजीनियरिंग-पॉलिटेक्निक कॉलेज में बनेंगे लैंग्वेज लैब। (सांकेतिक फोटो)

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालयों और पॉलिटेक्निक संस्थानों में लैंग्वेज लैब स्थापित होंगे। इसके लिए विज्ञान, प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से सभी संबंधित संस्थानों के प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है।

    राज्य में 38 राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय है, जिनमें से एक दर्जन से ज्यादा महाविद्यालयों में लैंग्वेज लैब स्थापित किए जा रहे हैं। इसी तरह राज्य में 42 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में भी लैंग्वेज लैब को स्थापित करने हेतु निर्देश दिया गया है।

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    विभागीय निर्देश में सभी सरकारी तकनीकी शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण आधारभूत सुविधाओं और आधारभूत विकास को प्राथमिकता देने को कहा गया है, ताकि छात्र-छात्राओं को अच्छी से अच्छी तकनीकी शिक्षा उपलब्ध हो सके।

    विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में आवंटित राशि का खर्च संबंधी ब्योरा भी प्राचार्यों से देने को कहा है। उसके आधार पर शेष राशि का आवंटन संबंधित संस्थानों को किया जाएगा।

    विभाग ने योजनाओं की कार्य प्रगति, भूमि उपलब्धता एवं आवंटित राशि के खर्च के बारे में सहायक निदेशकों से भी जानकारी मांगी है जिनके ऊपर योजनाओं की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी है।

    यहां तक कि तकनीकी शिक्षा संस्थानों में उपस्कर की उपलब्धता, बायोमेट्रिक उपस्थिति, खेल के मैदान, विदेशी भाषा की कक्षाएं, वाई-फाई सुविधा, छात्रावास और चाहरदिवारी, इंटर्नशिप प्रोग्राम, सोसायटी रजिस्ट्रेशन, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड स्कीम आदि के बारे में भी जानकारी देने को कहा गया है।

    स्कूलों के पुस्तकालयों में स्थानीय भाषा की रखी जाएंगी पुस्तकें

    वहीं पटना के सरकारी स्कूलों में पुस्तकालयों को सुदृढ़ करने की योजना पर काम शुरू है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने पुस्तकालयों में स्थानीय भाषा में पुस्तक रखने का निर्णय लिया है, ताकि स्थानीय भाषा की पहचान बनी रहे।

    जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार स्कूलों को पुस्तकालय को पहले से अधिक सुदृढ़ किया जाएगा।

    प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के पुस्तकालयों में कक्षा एक से आठ और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के पुस्तकालयों में कक्षा नौ से 12 तक के स्तर की हिंदी, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका, बज्जिका, मगही, जनजातीय भाषा-सूर्यापूरी, उरावं भाषा में की पुस्तकें रखी जाएंगी।

    इसकी शुरुआत नए सत्र से हो जाएगी। इसके अलावा बच्चों को लाभान्वित करने वाले मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, पर्यावरण से संबंधित, नैतिक, राष्ट्रीय-सामाजिक मूल्यों, नेतृत्व क्षमता को विकसित करने, स्वावलंबी बनने, महापुरुषों, देशभक्ति, इतिहास, भूगोल, तर्कशास्त्र, कला-संस्कृति जीवन पर आधारित, चरित्र निर्माण पुस्तक भी पुस्तकालय में उपलब्ध रहेगा।

    नहीं रखे जाएंगे विवादित पुस्तक

    जिला शिक्षा कार्यालय के अनुसार पुस्तकालय में कोई ऐसा पुस्तक नहीं रखा जाएगा, जो विवादित हो। जैसे जाति-धर्म या संप्रदाय विशेष को ठेस पहुंचाने वाली पुस्तक से पुस्तकालय को दूर रखा जाएगा।

    ऐसी पुस्तक पुस्तकालयों को उपलब्ध कराया जाएगा जिसे बच्चे पढ़कर ज्ञान प्राप्त सकें। सभी पुस्तकें सरल भाषा में रहेगी।

    कक्षा नौ से 12 के लिए प्रतियोगी पुस्तकों की दी जाएगी प्राथमिकता

    जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि अन्य पुस्तकों के अलावा कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के प्रतियोगी परीक्षा से संबंधित पुस्तक पुस्तकालय को उपलब्ध कराया जाएगा।

    इसके अलावा पाठ्यपुस्तक से सभी कक्षाओं का एक-एक सेट पुस्तकालय में उपलब्ध रहेगा। पुस्तकालय को स्वच्छ एवं सुंदर रखने की जिम्मेदारी स्कूल के प्रधान व शिक्षक की होगी।

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