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    Bihar News: रेल टिकट के रिफंड में देरी पर बैंक पर 67 हजार का हर्जाना, जानें क्या है पूरा मामला

    By Jagran NewsEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Fri, 17 Nov 2023 12:03 AM (IST)

    बिहार में उपभोक्ता आयोग ने रेल टिकट के रिफंड में देरी होने के एक मामले में फैसला सुनाते हुए एक नजीर पेश की है। पटना में रहने वाले एक युवक ने 2019 में एक टिकट बुक किया था हालांकि सीट की अनुपलब्धता बताकर आईआरसीटीसी ने उनका बर्थ कंफर्म नहीं किया जबकि उनके खाते से किराये की रकम का पैसा 2097 रुपये कट गया था।

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    रेल टिकट के दो हजार के रिफंड में देरी पर बैंक पर 67 हजार का हर्जाना।

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में उपभोक्ता आयोग ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग कराने वाले व्यक्ति के हित में फैसला सुनाया है। यह फैसला उन लोगों के लिए भी एक नजीर है, जो ऑनलाइन टिकट की बुकिंग करते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से टिकट बुक नहीं हो पाता और उनके खाते से पैसा निकल जाता है। फिर उन्हें रेलवे या बैंक से अपना ये पैसा वापस लेने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।

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    चार साल पहले का यह है पूरा मामला

    चार वर्ष पहले 18 मार्च, 2019 को बिहार के पटना निवासी पंकज कुमार ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) की वेबसाइट से सीट की बुकिंग कराई थी। अनुपलब्धता बताकर आईआरसीटीसी ने उनका बर्थ कंफर्म नहीं किया, जबकि उनके खाते से किराये की रकम का पैसा 2097 रुपये कट गया था।

    यह भुगतान उन्होंने अपने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) खाते से किया था। बुकिंग कंफर्म नहीं होने पर नियमानुसार उसी बैंक खाते में देय राशि तत्काल वापस (रिफंड) होनी चाहिए थी, मगर लगभग एक वर्ष की प्रतीक्षा के बाद पैसे वापस नहीं आए।

    एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे रेलवे व एसबीआई

    पैसा वापस नहीं होने पर वह जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचे। शिकायत के बाद 18 फरवरी, 2021 को उनके बैंक खाते में राशि रिफंड हुई। रिफंड में विलंब के लिए रेलवे ने एसबीआई को उत्तरदायी ठहराया।

    एसबीआई का कहना था कि रकम वापसी में रेलवे की कोताही है। हालांकि, दोनों पक्ष इस पहलू पर एकमत थे कि रिफंड अविलंब होना चाहिए था।

    उपभोक्ता आयोग ने एसबीआई को पाया दोषी

    दोनों पक्षों का आकलन कर उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष विधु भूषण पाठक व सदस्य रजनीश कुमार ने पाया कि एसबीआई ने समय से सेवा उपलब्ध कराने के दायित्व का निर्वहन नहीं किया। तथ्यों-तर्कों का आकलन कर आयोग ने समयबद्ध सेवा में एसबीआई को दोषी पाया।

    क्या है उपभोक्ता आयोग का फैसला ?

    रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित रिफंड के नियमानुसार आयोग ने आदेश दिया कि एसबीआई दो माह के भीतर पंकज के खाते में 69700 रुपये का भुगतान करे। इस राशि में टिकट की मूल राशि (2097 रुपये) को घटा देने पर शेष 67603 रुपये हर्जाना है।

    बैंक की भाषा में रिफंड के लिए टी प्लस फाइव का नियम है। टी यानी ट्रांजिट डेट (भुगतान की तारीख) से पांच दिन के भीतर रिफंड होना चाहिए। देरी होने पर बैंक को छठे दिन से प्रतिदिन सौ रुपये के हिसाब से हर्जाना देना होता है। रिफंड की मात्रा कम हो या अधिक, हर्जाने की राशि सौ रुपये प्रतिदिन ही होगी।

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