Bihar News: नीलगायों को उपयोगी बनाने के लिए शोध कराएगी बिहार सरकार, 1.14 करोड़ रुपये आवंटित
प्रारंभिक शोध में यह सामने आया है कि नीलगाय का दूध पौरुषवर्धक है। शासन को शोध पर खर्च होने वाली राशि व परियोजना से संबंधित विस्तृत प्रस्ताव कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने सौंप दिाय है। शोध के लिए केंद्र सरकार 60 एवं राज्य सरकार 40 प्रतिशत राशि देगी। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 77.68 करोड़ रुपये खर्च की मंजूरी दे दी है।

रमण शुक्ला, पटना। खेती-किसानी के लिए समस्या बने नीलगायों को उपयोगी बनाने के लिए बिहार सरकार शोध कराने जा रही है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत सबौर (भागलपुर) स्थित कृषि विश्वविद्यालय इस संबंध में शोध करेगा। नीलगाय संसाधन में सुधार एवं मानव कल्याण हेतु इसकी बाह्य संरचना, व्यवहार एवं विशेषताओं के अध्ययन विषय पर शोध के लिए कृषि विभाग ने 1.14 करोड़ रुपये का आवंटन भी कर दिया है।
अध्ययन के उद्देश्य से बक्सर जिला के डुमरांव में मवेशी फार्म और वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय के भूखंड पर नीलगायों के लिए बाड़ा बनाया जाएगा। वहां नीलगायों को पालतू बनाने, उनके खान-पान व व्यवहार के आकलन के साथ उनके मल-मूत्र का ईंधन आदि के रूप में उपयोग का अध्ययन-आकलन होगा। शोध का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष इसके दूध व उससे बनाए जाने वाले उत्पाद की संभावना का आकलन होगा।
पौरुषवर्धक है नीलगाय का दूध
अहम यह है कि प्रारंभिक शोध में यह सामने आया है कि नीलगाय का दूध पौरुषवर्धक है। शासन को शोध पर खर्च होने वाली राशि व परियोजना से संबंधित विस्तृत प्रस्ताव कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने सौंप दिाय है। शोध के लिए केंद्र सरकार 60 एवं राज्य सरकार 40 प्रतिशत राशि देगी। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 77.68 करोड़ रुपये खर्च की मंजूरी दे दी है। इसी आधार पर कृषि विभाग के संयुक्त सचिव शैलेंद्र कुमार ने राशि आवंटन की अनुमति दी है।
बता दें कि उत्तर भारत के कई राज्यों के किसान नीलगायों के उपद्रव से सांसत में हैं। ऐसे में सरकार का मानना है कि पशुपालन की प्रगति एवं नियंत्रण की रणनीतियों के लिए नीलगाय की बाह्य संरचना, व्यवहार, विविधता जैसे महत्वपूर्ण गुणों विश्लेषण एवं उसका विवरण प्राप्त करना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए शाहाबाद क्षेत्र में नीलगायों की आबादी, इनकी जैविक विविधता क आकलन के लिए अध्ययन किया जाएगा।
इसके लिए नीलगाय की बाह्य व्यावहारिक गुणों के अध्ययन से इन्हें पालतू बनाने, पशु पालन, प्रजनन फार्म, इसकी वंशावली आदिक पर अध्ययन किया जाएगा। इस परियोजना के कार्यान्वित होने से किसानों के लिए कई तरह के लाभ का आकलन किया गया है। उम्मीद है, रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

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