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    MGNREGA Scam: मुखिया ने परिवार के नाम जॉब कार्ड बना निकाली मनरेगा की राशि, सरकार को लगाया लाखों का चूना

    Updated: Tue, 12 Mar 2024 06:35 PM (IST)

    चनपटिया में आने वाली चूहड़ी पंचायत के मुखिया प्रभात कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने परिवार के नाम पर फर्जी तरीके जॉब कार्ड बनाया और बिना काम कराए ही मनरेगा योजना की राशि प्राप्त कर ली। मुखिया प्रभात कुमार की इस करतूत के खिलाफ संबंधित पंचायत के निवासी परमजीत कुमार ने पटना हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई थी।

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    मुखिया ने परिवार के नाम जॉब कार्ड बना निकाली मनरेगा की राशि, सरकार को लगाया लाखों का चूना

    राज्य ब्यूरो, पटना। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत चुने गए मुखिया ने पद का दुरुपयोग करते सरकार को लाखों रुपये का चूना लगाया है। मामले की जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद निगरानी ब्यूरो ने मुखिया व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।

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    मामला पश्चिम चंपारण के अंतर्गत चनपटिया में आने वाली चूहड़ी पंचायत से जुड़ा हुआ है। चनपटिया में आने वाली चूहड़ी पंचायत के मुखिया प्रभात कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने परिवार के नाम पर फर्जी तरीके जॉब कार्ड बनाया और बिना काम कराए ही मनरेगा योजना की राशि प्राप्त कर ली।

    मुखिया प्रभात कुमार की इस करतूत के खिलाफ संबंधित पंचायत के निवासी परमजीत कुमार ने पटना हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को मामले की जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सौंपने के निर्देश दिए थे।

    एसपी सुबोध कुमार की जांच में क्या मिला

    कोर्ट के निर्देश के बाद निगरानी एसपी सुबोध कुमार विश्वास को मामले की जांच सौंपी गई। एसपी सुबोध कुमार ने अपनी जांच में पाया कि चूहड़ी ग्राम के मुखिया प्रभात कुमार ने मनरेगा से जुड़ी अलग-अलग योजनाओं के लिए अपने संबंधियों के नाम से मनरेगा जॉब कार्ड बनाए। इन फर्जी लोगों ने काम भी नहीं किया, लेकिन काम दिखाकर संबंधित रिश्तेदारों के बैंक खातों में राशि प्राप्त कर ली गई।

    जांच में पाया गया कि मुखिया ने सरकारी राशि की अवैध तरीके से निकासी की और उसका बंदरबांट भी किया। एसपी की रिपोर्ट के आधार पर निगरानी ब्यूरो ने मुखिया प्रभात कुमार के अलावा सुनील कुमार निराला, प्रमोद प्रसाद, पूनम देवी, रोहित कुमार, पिनाकी कुमार और शुभम कुमार व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

    निगरानी विभाग ने इस मामले में आगे जांच भी शुरू कर दी है। आरोप सिद्ध होने पर मुखिया का पद तो जाएगा ही उन्हें सरकारी राशि के गबन के आरोप में जेल भी हो सकती है।

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