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    Bihar Integrated Water Management:ताजे जल की मात्रा के साथ गुणवत्ता का संरक्षण भी जरूरी, समेकित जल प्रबंधन पर पटना में मंथन

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 09:49 PM (IST)

    पटना में बिहार अभियंत्रण सेवा संघ और भारतीय जल संसाधन समाज ने जल प्रबंधन पर एक गोलमेज चर्चा आयोजित की। इसमें प्रो. विजय पाल सिंह ने बिहार के समग्र विक ...और पढ़ें

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    समेकित जल प्रबंधन पर मंथन

    जागरण संवाददाता, पटना। बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर बढ़ते दबाव के बीच बिहार में जल संसाधन प्रणालियों के समेकित विकास की आवश्यकता को लेकर मंगलवार को गंभीर मंथन किया गया। बिहार अभियंत्रण सेवा संघ (बेसा) एवं भारतीय जल संसाधन समाज (आईडब्ल्यूआरएस) के संयुक्त तत्वावधान में इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम के सहयोग से अभियंता भवन स्थित सभागार में एक राउंड टेबल टॉक का आयोजन किया गया।

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    इस परिचर्चा में जल संसाधन अभियंत्रण के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ प्रो. विजय पाल सिंह, विशिष्ट प्राध्यापक, टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय, अमेरिका ने प्रमुख वक्ता के रूप में भाग लिया।

    कार्यक्रम की शुरुआत बेसा के अध्यक्ष इंजीनियर सुनील कुमार द्वारा प्रो. सिंह को पौधा भेंट कर स्वागत के साथ हुई। बेसा के महासचिव ने स्वागत भाषण दिया, जबकि इंजीनियर डी.पी. सिंह ने प्रो. विजय पाल सिंह का परिचय कराते हुए विषय की रूपरेखा प्रस्तुत की।

    अपने संबोधन में प्रो. विजय पाल सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में बिहार के समग्र विकास के लिए जल संसाधनों का एकीकृत प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है।

    उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ताजे पानी की केवल मात्रा ही नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता का आकलन, निरंतर निगरानी और संरक्षण भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।

    उन्होंने कहा कि पारंपरिक और आधुनिक जल संचयन प्रणालियों—जैसे वेटलैंड्स, तालाब, पोखर, नदियां, झरने, धाराएं और भूजल भंडारण को एक साझा ढांचे में जोड़कर ही प्रभावी जल प्रबंधन संभव है।

    प्रो. सिंह ने कहा कि जल-अनुकूल उपचार और समेकित जल संसाधन प्रबंधन अपनाकर बिहार बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं से बेहतर ढंग से निपट सकता है।

    इससे न केवल कृषि और पेयजल सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि राज्य को दीर्घकालिक एवं सतत विकास की दिशा में भी आगे बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने नीति निर्माण में वैज्ञानिक आंकड़ों, स्थानीय अनुभव और आधुनिक तकनीक के समावेश की आवश्यकता पर भी बल दिया।

    परिचर्चा के दौरान अन्य विशेषज्ञों और अभियंताओं ने भी जल संरक्षण, जल गुणवत्ता सुधार और संसाधनों के कुशल उपयोग को लेकर अपने विचार साझा किए।

    कार्यक्रम में इंजीनियर राम स्वार्थ सह, इंजीनियर रविंद्र कुमार सिन्हा, इंजीनियर परशुराम सिंह, इंजीनियर राजेश्वर मिश्रा, इंजीनियर अंजनी कुमार, इंजीनियर आदित्य नारायण झा ‘अनल’ सहित बड़ी संख्या में अभियंता उपस्थित रहे।

    कार्यक्रम के अंत में बेसा के महासचिव इंजीनियर राकेश कुमार ने प्रो. विजय पाल सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट किया, जबकि इंजीनियर अजय कुमार सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आयोजन की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।