Bihar Gramin Bank: ग्रामीण बैंक को लेकर सामने आई एक और जानकारी, वित्त विभाग ने जारी किया नया नोटिफिकेशन
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का विलय 1 मई से प्रभावी हो जाएगा। इसके बाद बिहार ग्रामीण बैंक अस्तित्व में आएगा। इस नवगठित बैंक के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती संरचनात्मक रूप से सुदृढ़ होने के साथ पेशेवर प्रतिस्पर्द्धा में आगे निकलने की होगी। इसके लिए कार्ययोजना बनाने के बाद ग्रामीण बैंक का आइपीओ आएगा ताकि कार्ययोजना पर आगे बढ़ने के लिए पूंजी जुटाई जा सके।

राज्य ब्यूरो, पटना। ग्रामीण बैंकों के विलय का एक बड़ा उद्देश्य आइपीओ लाना है। राशि जुटाने के लिए इन बैंकों में केंद्र सरकार के शेयर की खुले बाजार में बोली लगाई जाएगी।
इस तरह आइपीओ से प्राप्त होने वाली राशि से नव-गठित ग्रामीण बैंक का कायाकल्प होगा। बिहार के दोनों ग्रामीण बैंकों (उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक) का विलय एक मई से प्रभावी हो जाना है।
उसके बाद बिहार ग्रामीण बैंक अस्तित्व में आएगा। उसके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती संरचनात्मक रूप से सुदृढ़ होने के साथ पेशेवर प्रतिस्पर्द्धा में आगे निकलने की होगी।
इसके लिए कार्ययोजना बनाने के बाद ग्रामीण बैंक का आइपीओ आएगा, ताकि कार्ययोजना पर आगे बढ़ने के लिए पूंजी जुटाई जा सके। नवगठित सभी ग्रामीण बैंकों के पास 2,000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी होगी।
वित्त विभाग ने अपनी अधिसूचना में इसे स्पष्ट कर दिया है। पूंजी जुटाने के इस लक्ष्य में आइपीओ महत्वपूर्ण होगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी ग्रामीण बैंक का आइपीओ लाने का प्रयास हुआ था, लेकिन परिचालन पूंजी कम होने के कारण वह पहले सिरे नहीं चढ़ी।
अब दोनों ग्रामीण बैंकों का विलय हो रहा तो स्वाभाविक तौर पर एक इकाई के रूप में नेटवर्क बड़ा हो जाएगा और पूंजी भी बड़ी हो जाएगी।
सुधार के लिए समय समय पर किया जाता रहा है यह काम
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण बैंकों की सेहत में सुधार के लिए शेयर धारकों द्वारा समय-समय पर पूंजी दी जाती रही है।
हालांकि, 2015 में केंद्र सरकार ने आगे पूंजी देने के बजाय ग्रामीण बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने का निर्देश दिया।
इसके लिए ग्रामीण बैंक कानून-1976 में संशोधन कर केंद्र ने अपने 50 प्रतिशत में से 34 प्रतिशत शेयर आइपीओ के माध्यम से बेचने का प्रविधान किया।
हालांकि, छोटा आधार होने के कारण कोई भी ग्रामीण बैंक आइपीओ जारी नहीं कर सका। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक 35 प्रतिशत और संबंधित राज्य सरकार 15 प्रतिशत अंशधारक होती है।
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