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    पेंशन और सेवांत लाभ में देरी पर बिहार सरकार सख्त, 3 महीने से अधिक मामला लंबित रहने पर होगी कार्रवाई

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 01:26 PM (IST)

    बिहार सरकार ने पेंशन और सेवांत लाभ के मामलों में देरी को लेकर सख्ती दिखाई है। विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे इन मामलों की नियमित समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि कर्मचारियों को समय पर लाभ मिले। सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि कोई कर्मचारी तीन महीने से अधिक समय तक किसी मामले को लंबित रखता है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

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    पेंशन और सेवांत लाभ में देरी पर बिहार सरकार सख्त

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार सरकार में पेंशन और सेवांत लाभ से जुड़े मामलों को लेकर सरकार अति सख्त हो गई है। तमाम विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि पेंशन और सेवांत लाभ के मामलों को लेकर विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सतर्कता बरते। 

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    ऐसे मामलों की नियमित समीक्षा होनी चाहिए। ताकि पेंशन और सेवा समाप्त होने पर मिलने वाले लाभ कर्मी, पदाधिकारी को समय पर मिल सकें।

    समय पर पेंशन का लाभ नहीं

    राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में प्रत्येक माह कई अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं। परंतु ऐसे लोगों को समय पर पेंशन या सेवांत लाभ नहीं मिलता। नतीजा उन्हें काफी परेशानी होती है। 

    कई बार तो पीड़ित न्याय के लिए कोर्ट तक की शरण में चले जाते हैं। ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए अब सरकार ने सख्ती बरतते हुए नए सिरे से निर्देश जारी किए हैं।

    मामले को लंबित नहीं रखने का आदेश

    विभाग को स्पष्ट किया गया है कि मुख्यालय के साथ क्षेत्रीय कार्यालयों के स्तर पर लंबित पेंशन एवं सेवांत लाभ के मामलों की स्थिति की नियमित रूप से गंभीरतापूर्वक जांच कर आवश्यकता अनुसार संंबंधित कार्यालयों से समन्वय कर मामले का निष्पादन करें। मामले किसी भी हाल में लंबित न रखें। 

    यदि कोई पदाधिकारी कर्मचारी पेंशन या सेवांत लाभ के मामले तीन महीने से अधिक लंबित रखते हैंं तो दोषी पदाधिकारी, कर्मचारी पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

    कोताही की कोई गुंजाइश नहीं 

    विभाग ने जारी आदेश में स्पष्ट किया है कि ज्यादा समय तक पेंशन या सेवांत लाभ के मामले लंबित रखने की स्थिति में व्यक्ति कोर्ट चला जाता है। जिससे सरकार की छवि प्रभावित होती है और निरर्थक दबाव भी बढ़ता है। 

    जबकि राज्य की नीति जीरो पेंडेंसी की है। लिहाजा सेवांत लाभ और पेंशन के मामले प्राथमिकता के आधार पर निपटाए जाएं। इसमें कोताही की कोई गुंजाइश नहीं है।