Move to Jagran APP

Bihar: सार्वजनिक संपत्ति पचाने वालों कार्रवाई तेज करेगी सरकार, 5 लाख लंबित मामलों में फंसे हैं 74 अरब रुपये

सरकारी धन को पचाना अब आसान नहीं होगा। इस नीयत से सालों तक राजस्व न्यायालयों के मुकदमों में फंसाने का उपाय भी काम नहीं आएगा क्योंकि सरकार ऐसे लोगों की गर्दन नापने का उपाय कर चुकी है। राजस्व पर्षद ने एक पोर्टल लांच किया है। राजस्व मुकदमों के जल्द निपटारे के लिए PDRA के तहत आनेवाले सभी सर्टिफिकेट केस बकायेदारों की सूची और कार्रवाई का ब्योरा इस पोर्टल पर होगा।

By Edited By: Mohit TripathiPublished: Mon, 18 Sep 2023 09:28 PM (IST)Updated: Mon, 18 Sep 2023 09:28 PM (IST)
सार्वजनिक संपत्ति पचाने वालों पर कार्रवाई तेज करने के मूड में सरकार। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना:  राजस्व पर्षद ने एक पोर्टल लांच किया है। राजस्व मुकदमों के शीघ्र निपटारे के लिए बिहार लोक मांग वसूली अधिनियम (PDRA) के तहत आने वाले सभी सर्टिफिकेट केस, बकायेदारों की सूची और कार्रवाई का ब्योरा इस पोर्टल पर होगा। इसके जरिये मामलों की निगरानी और बकायेदारों से वसूली अपेक्षाकृत सहज होगी।

loksabha election banner

पोर्टल लांच करने के बाद विकास आयुक्त सह राजस्व पर्षद के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह ने बताया कि इस पोर्टल पर सरकारी धन का गबन करने वाले, बैंक ऋण व राजस्व की राशि हड़पने वालों का ब्योरा होगा।

इससे बकाये संबंधी मुकदमों की समीक्षा और मॉनीटरिंग आसान होगी। वहीं, सरकारी पैसा निगल जाने वालों की संपत्ति की नीलामी करने में भी आसानी होगी। प्रेस वार्ता में राजस्व पर्षद के विशेष कार्य पदाधिकारी संजीव कुमार आदिक उपस्थित थे।

पांच लाख मामले और सरकार के 74 अरब रुपये

उल्लेखनीय है कि अभी सर्किल अफसर, भूमि व राजस्व उप समाहर्ता (डीसीएलआर), अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम), अपर जिलाधिकारी (एडीएम), जिलाधिकारी और कमिश्नर से लेकर राजस्व पर्षद तक लगभग पांच लाख मामले विचाराधीन हैं। इसमें सरकार के लगभग 74 अरब रुपये फंसे हुए हैं। ये मामले परिवहन, उत्पाद, खनन विभाग और बैंक आदिक से संबंधित हैं।

डिफाल्टर अब दूसरी जगह से नहीं ले सकते राशि

आयुक्त, समाहर्ता और अनुमंडल अधिकारियों की बैठक के दौरान राजस्व पर्षद को पता चला कि सर्टिफिकेट का विवरण अभी एकीकृत और अद्यतन नहीं होने के कारण डिफाल्टर दूसरे जिलों में भी राशि प्राप्त कर ले रहे हैं। व्यवस्था से जुड़े लोगों से उन्हें मदद भी मिल जा रही। नया सिस्टम विकसित होने के बाद ऐसा संभव नहीं होगा। एक जिला में डिफाल्टर घोषित व्यक्ति को दूसरे जिले में राशि लेने से रोका जा सकता है।

पोर्टल पर स्वत: अपलोड हो जाएंगे नए मामले

राजस्व पर्षद के अध्यक्ष ने बताया कि पुराने सभी वादों को पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। इसका साफ्टवेयर इस तरह से विकसित किया गया है कि नया वाद स्वत: अपलोड हो जाएगा।

इस पोर्टल से उच्चाधिकारी मामलों की मानीटरिंग आसानी से कर सकते हैं। वादों में सक्षम प्राधिकार द्वारा की गई कार्रवाई, बाडी वारंट और संपत्ति की कुर्की-जब्ती आदि का नियमित अनुश्रवण राजस्व पर्षद के स्तर पर किया जा सकेगा।

बेतिया राज की परिसंपत्तियां का ब्योरा होगा ऑनलाइन

राजस्व पर्षद अब बेतिया राज की संपत्तियों का डाटा बेस भी आनलाइन करेगा। बेतिया राज के पास चल-अचल संपत्तियां अथाह थीं। दूसरे जिले और दूसरे राज्यों में उसका भूमि-भवन है।

पश्चिम चंपारण जिला सहित दूसरी कई जगहों पर बेतिया राज की परिसंपत्तियों पर अवैध कब्जा है। उससे जुड़े मामले भी विचाराधीन हैं। विगत वर्षों में राज के खजाने से आभूषण आदिक की चोरी भी हो चुकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.