केंद्र और राज्य की योजनाओं में उपयोगिता प्रमाण पत्र को लेकर बिहार सरकार सख्त, बनी नई व्यवस्था
अब केंद्र प्रायोजित योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र पर वित्त विभाग के सचिव (संसाधन) प्रति हस्ताक्षर करेंगे। वे इस मद की राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र पर भी हस्ताक्षर करेंगे। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव के हवाले से जारी आदेश में इसके लिए वित्त सचिव (संसाधन) अधिकृत किया है।

राज्य ब्यूरो, पटना : केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं में उपयोगिता प्रमाण पत्र को लेकर सरकार सख्त हुई है। नई व्यवस्था के तहत अब केंद्र प्रायोजित योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र पर वित्त विभाग के सचिव (संसाधन) लोकेश कुमार सिंह प्रति हस्ताक्षर करेंगे। 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर स्थानीय निकायों को दिए जाने वाले अनुदान के खर्च में भी उनकी भूमिका रहेगी। वे इस मद की राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र पर भी हस्ताक्षर करेंगे। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस सिद्धार्थ के हवाले से जारी आदेश में इसके लिए वित्त सचिव (संसाधन) अधिकृत किया है। मालूम हो कि योजना मद की राशि खर्च करने के बाद समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करने को लेकर राज्य सरकार की कई बार फजीहत हुई है। महालेखाकार की रिपोर्ट में भी यह शिकायत स्थायी स्वरूप ले चुकी है। लिहाजा, प्राय: सभी विभागों ने संबंधित अधिकारियों पर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश
लघु जल संसाधन विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए 1740 टयूब वेल लगाए गए। लेकिन, वर्षों पहले लगाए गए टयूब वेल पर हुए खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। इसके लिए मुखिया और संबंधित पंचायत राज पदाधिकारियों से जवाब तलब किया गया है। जिला विकास उपायुक्तों को कहा गया है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करने वाले मुखिया से प्रमाण पत्र मांगें। एक महीने के भीतर यह जमा नहीं होता है तो जिम्मेवार पदधारकों और यहां तक निवर्तमान मुखिया के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करें।
खर्च कहां हुआ, पता नहीं
शिक्षा विभाग में भी उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करने की शिकायत आम है। पिछले महीने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग की गई। शिक्षा विभाग को पता ही नहीं है कि इस विवि के अंगीभूत और संबद्ध कालेजों को जो राशि दी गई है, वह खर्च हुई या नहीं।
वित्तीय अनियमितता
महालेखाकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 की आडिट रिपोर्ट में समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के मामले को वित्तीय अनियमितता करार दिया था। उस रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2020 के बीच करीब 80 हजार रुपये के खर्च के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किए गए थे। पंचायती राज, शिक्षा, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास और नगर विकास जैसे विभागों में उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करने की शिकायतें सबसे अधिक थीं। उस रिपोर्ट के बाद संबंधित विभागों की सक्रियता बढ़ी थी। बड़ी संख्या में उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराए गए थे।
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