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    Bihar Govt School: बिहार में बेहतर होंगी सरकारी स्कूलें, 12वीं के बाद अब 8वीं से 11वीं तक की कक्षाओं में भी लगेंगे CCTV कैमरे

    बिहार में लगातार सरकारी स्कूलों को बेहतर करने का काम किया जा रहा है। इसी क्रम में 12वीं की कक्षाओं में सीसीटीवी लगाए गए थे। अब जल्द ही प्रदेश की कक्षा 8वीं से 11वीं तक की भी कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इस बात की जानकारी अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने शिक्षा की बात हर शनिवार कार्यक्रम में दी।

    By Dina Nath Sahani Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sun, 10 Nov 2024 09:26 AM (IST)
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    8वीं से 11वीं तक की कक्षाओं में लगेंगे CCTV कैमरे

    राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में स्कूली शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार में जुटी सरकार अब प्रत्येक विद्यालय में सीसीटीवी कैमरे लगाने जा रही है। उच्च माध्यमिक विद्यालयों की बारहवीं कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे का प्रयोग सफल होने के बाद शिक्षा विभाग ने तय किया है कि इस साल आठवीं, नौवीं, दसवीं और ग्यारहवीं वर्ग कक्षाओं में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों की कक्षाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने का कार्य पूरा किया जाएगा।

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    शनिवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ शिक्षा की बात-हर शनिवार लाइव कार्यक्रम में शिक्षकों के प्रश्नों से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार 8वीं से 11वीं तक की कक्षाओं में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की तैयारी में है। चरणबद्ध तरीके से 81,223 विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का कार्य पूरा होगा।

    80 हजार से ज्यादा स्कूलों में लगेंगे CCTV कैमरे

    राज्य में 81 हजार 223 सरकारी विद्यालय हैं। इनमें से 9 हजार 360 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। 40 हजार 566 प्राथमिक विद्यालय हैं और मध्य विद्यालयों की संख्या 31 हजार 297 है। इन सभी विद्यालयों की वर्ग कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। जैसा कि अपर मुख्य सचिव डा. एस. सिद्धार्थ ने जानकारी दी कि सीसीटीवी कैमरे लगाना खर्चीला है। इसलिए निचली कक्षाओं में धीरे-धीरे सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम पूरा किया जाएगा।

    गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए मध्याह्न भोजन योजना से प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को दूर रखने संबंधी एक शिक्षक के पूछे गए सवाल पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अन्य राज्यों में मध्याह्न भोजन योजना में प्रधानाध्यापक की सहभागिता नहीं है, उनके कार्य तो विद्यालय व्यवस्था और शैक्षणिक सुधार आदि है।

    मध्याह्न भोजन के संचालन से प्रधानाध्यपक रहेंगे दूर

    पायलट प्रोजेक्ट के तहत बिहार के दस जिलों की दो-दो पंचायतों में मध्याह्न भोजन योजना के संचालन से प्रधानाध्यापकों को दूर रखने का कार्य शुरू किया जा रहा है। ये जिले मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, भागलपुर, लखीसराय और औरंगाबाद हैं। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में मध्याह्न भोजन तैयार कराने एवं बच्चों के खिलाने में अधिकतर समय व्यर्थ जाता है। इसके कारण बच्चों एवं शिक्षकों का बहुमूल्य समय नष्ट होता है।

    इसलिए बच्चों को पका-पकाया भोजन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए संबंधित जिलों में चयनित दो-दो पंचायत के लिए मध्याह्न भोजन व्यवस्थापक एवं सहायक व्यवस्थापक चयनित कर तैनात किए जाएंगे, जिसके ऊपर इस योजना के संचालन की पूर्ण जवाबदेही होगी। इसमें खाद्य सामग्री क्रय करना, भोजन बनवाना, बच्चों को भोजन खिलाना व रसोईघर की साफ-सफाई समेत अन्य कार्य शामिल हैं।

    प्रारंभिक कक्षाओं के बच्चों को भी कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा

    अपर मुख्य सचिव डा. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों की कक्षा छठी, सातवीं और आठवीं में भी कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा लागू की जाएगी, ताकि इन कक्षाओं के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा का लाभ मिल सके। इसकी तैयारी की जा रही है और नए सत्र में लागू की जाएगी। यह ब्रिज कोर्स होगा। इसके बाद निचली कक्षाओं में बच्चों को कंप्यूटर विज्ञान की जानकारी देने की व्यवस्था होगी।

    अभी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की नौवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर विज्ञान का पाठ्यक्रम लागू है। इसके लिए कंप्यूटर विज्ञान की किताब भी प्रकाशित कर विद्यालयों को उपलब्ध कराई गई है। सरकार की प्राथमिकता में है कि सरकारी विद्यालयों के बच्चे भी कंप्यूटर शिक्षा में पीछे नहीं रहें।

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