Bihar Pharmacy College: अतिथि शिक्षकों के भरोसे सरकारी फार्मेसी कॉलेज, नई नियुक्ति की तैयारी
Bihar Pharmacy College फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्धारित मानकों के अनुसार इस संस्थानों में छात्रों की संख्या के आधार पर करीब 27 शिक्षकों की दरका ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Pharmacy College प्रदेश के सरकारी फार्मेसी कॉलेज काफी समय से अतिथि शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। नियमित शिक्षक न होने की वजह से काम चलाऊ व्यवस्था के सहारे छात्रों की पढ़ाई कराई जा रही है। इस वजह से इनकी मान्यता पर संकट है। जिसे देखते हुए सरकार इन कालेजों में शिक्षकों की बहाली प्रारंभ करने की तैयारी में है।
इसके लिए विभाग के स्तर पर कवायद शुरू की गई है। बिहार में पांच सरकारी फार्मेसी कॉलेज हैं। राजकीय फार्मेसी संस्थान, पटना सर्वाधिक पुराना है और इसकी स्थापना 1958 में हुई थी। यहां बी-फार्म की सौ, डी-फार्म की साठ और एम-फार्म की पढ़ाई के लिए मान्यता मिली हुई है।
27 शिक्षकों की दरकार
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्धारित मानकों के अनुसार, इस संस्थानों में छात्रों की संख्या के आधार पर करीब 27 शिक्षकों की दरकार है। जबकि यहां अभी सात शिक्षक ही कार्यरत हैं। सरकार ने सात निश्चय योजना के तहत पांच नए फार्मेसी कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है।
सिवान, पावापुरी, बांका और सासाराम में यह कॉलेज खुल चुके हैं। समस्तीपुर में भवन सुविधा नही होने के कारण संस्थान अब तक प्रारंभ नहीं हो सका है। नए कॉलेजों में 12 शैक्षणिक और सात गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का पद का सृजन हुआ था। वर्तमान में मात्र 15 अतिथि शिक्षकों के सहारे यह संस्थान संचालित हैं।
पीसीआई अतिथि शिक्षकों को मान्यता नहीं देता। इस संकट समाधान के लिए स्वास्थ्य विभाग इन संस्थानों में नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही उच्चस्तरीय बैठक में संस्थानवार शिक्षकों की नियुक्ति का प्रस्ताव पर सहमति बनाई जाएगी।

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