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    ‘बिहार फ्रेश’ से ग्‍लोबल हो जाएंगे ब‍िहार के कृष‍ि उत्‍पाद; मंत्री ने साझा क‍िया PM और CM का व‍िजन

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Wed, 24 Dec 2025 08:16 PM (IST)

    बिहार के कृषि मंत्री ने 'बिहार फ्रेश' के माध्यम से राज्य के कृषि उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने की योजना साझा की है। इस पहल का उद्देश्य प्रधानमं ...और पढ़ें

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    कृषि विभाग के कार्यक्रम को संबोधित करते कृषि मंत्री रामकृपाल यादव। सौ : विभाग।

    राज्य ब्यूरो, पटना। 'सब्जी से समृद्धि, आत्मनिर्भर किसान' विषयक परिचर्चा का आयोजन करने के साथ कृषि विभाग ने  बुधवार को  दावा किया कि उसने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के विजन को धरातल पर साकार करने की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा दिया है।

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    कृषि भवन के सभागार में हितधारकों के साथ हुई परिचर्चा मेंं मुख्य अतिथि विभागीय मंत्री रामकृपाल यादव रहे। अध्यक्षता प्रधान सचिव पंकज कुमार ने की।

    उद्घाटन के बाद रामकृपाल ने कहा कि मेरा सपना है कि ‘बिहार फ्रेश’ एक सशक्त ब्रांड बने, जिससे राज्य के कृषि उत्पाद लोकल से ग्लोबल बाजार तक अपनी पहचान बना सकें। 

    प्रधानमंत्री का विजन लैब-टू-लैंड है। इसका आशय वैज्ञानिक शोध को सीधे खेत तक पहुंचाना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर भारतीय की थाली में बिहार के एक व्यंजन की अपेक्षा बहुत पहले प्रकट कर चुके हैं।

    परिचर्चा का उद्देश्य वित्तीय वर्ष 2026-27 से 2028-29 के लिए बिहार में वैज्ञानिक पद्धति से उच्च मूल्य वाली सब्जियों के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन हेतु एक ठोस नीति एवं रोडमैप पर विचार-विमर्श रहा।

    रामकृपाल ने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए धान-गेहूं के साथ सब्जी, फल-फूल और औषधीय फसलों को मुख्य धारा में लाना आवश्यक है।

    400 लाख टन प्रति वर्ष सब्जी उत्पादन का लक्ष्य  

    अभी बिहार में प्रतिवर्ष 170-180 लाख टन सब्जियों का उत्पादन हो रहा है, जो राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग नौ प्रतिशत है। इसे पांच वर्षों में बढ़ाकर 400 लाख टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

    कटाई के बाद 20 से 40 प्रतिशत तक फसल की क्षति किसानों की आय पर सीधा प्रभाव डालती है। वर्तमान में राज्य की कोल्ड स्टोरेज क्षमता 13 लाख मीट्रिक टन है, जबकि वास्तविक आवश्यकता 40 लाख मीट्रिक टन की है।

    प्रखंड स्तर तक कोल्ड-चेन, पैक हाउस, ग्रेडिंग और लाजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना प्राथमिकता में है। एआइ और आइटी और ड्रोन तकनीक से कृषि को आधुनिक बनाया जा रहा है, जिसके लिए डिजिटल कृषि निदेशालय का गठन हुआ है।

    प्रधान सचिव ने तीन फसली खेती, उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज, विशिष्ट पहचान वाली सब्जियों और प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन पर विशेष बल दिया।

    विशेष सचिव डा. बीरेन्द्र प्रसाद यादव, उद्यान निदेशक अभिषेक कुमार, वेजफेड के प्रबंध निदेशक डाॅ. गगन, पीपीएम के निदेशक संतोष कुमार उत्तम आदि परिचर्चा में उपस्थित रहे।