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    बिहार का बजट पेश, वित्तमंत्री ने कहा- नहीं होने देंगे नोटबंदी का असर

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Tue, 28 Feb 2017 11:22 PM (IST)

    विधानसभा में आज बिहार की महागठबंधन सरकार ने आज वर्ष 2017-18 का बजट पेश किया।वित्तमंत्री नेविधानसभा में बजट पेश करते हुए कहा कि बिहार में नोटबंदी का कोई असर नहीं होने देगे।

    बिहार का बजट पेश, वित्तमंत्री ने कहा- नहीं होने देंगे नोटबंदी का असर

    पटना [राज्य ब्यूरो]। महागठबंधन सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट पेश करने के लिए बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी विधानसभा पहुंचे। वित्तमंत्री ने विधानसभा में  इस वर्ष का बजट पेश करते हुए कहा कि नोटबंदी का बिहार पर कोई असर नहीं पड़ने देंगे।

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    वित्तमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट में महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर खास फोकस किया गया है। बुनकरों की स्थिति बेहतर करने की जरूरत है इसके लिए उनके कौशल विकास पर खासा ध्यान दिया गया है।वित्तमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था बहते पानी की तरह होता है, हमेशा बदलता रहा है।

    वित्तमंत्री ने कहा कि बिहार में बैंकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। खाताधारियों को प्लास्टिक मनी देने पर जोर दिया जाएगा। नये वित्तीय वर्ष में सुधार पर जोर रहेगा। नोटबंदी के बाद के झंझावातों से उबरने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। नोटबंदी का बिहार पर असर नहीं पड़ेगा। अभियान चलाकर पीओएस मशीनें लगाई जाएंगी। कर की चोरी रोकने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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    इस बार के बजट में 2017-18 वार्षिक स्कीम अस्सी हजार करोड़ रुपये रखी गई है। लोकायुक्त के लिए पांच करोड़ की राशि मंजूर की गई है। राजकोषीय घाटे को नियंत्रण करना सरकार की प्राथमिकता होगी। अर्थव्यवस्था सुधारने पर विशेष जोर दिया जाएगा। बुनकरों के लिए कौशल विकास केंद्र खोले जाएंगे। 

    बजट पेश करने के बाद वित्तमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ने थोड़ा भी ध्यान दिया होता तो बिहार की अर्थव्यवस्था और हमारे बजट में चार चांद लग जाते। अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया, जो मिलना जरूरी था, इससे बिहार में विकास की गाड़ी सरपट दौड़ती। लेकिन फिर भी हमने संतुलित बजट रखा है। 

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    बजट में वित्त मंत्री बुनकरों के लिए बड़ा एलान किया है। बजट मुख्यमंत्री के सात निश्चय कार्यक्रम पर केंद्रित रहा। वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी कुल 1.66 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया जिसे पहले ही मंत्रिपरिषद से स्वीकृति मिल चुकी थी। 

    वित्त विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी के मुताबिक आर्थिक संकट के बावजूद 2016-17 की तुलना में 2017-18 के बजट के आकार में करीब 17 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। वर्तमान बजट का आकार 1.44 लाख करोड़ रुपये रखा गया है।

    नए बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क और कृषि समेत सात निश्चय कार्यक्रम के तहत होने वाले कार्यों को प्राथमिकता दी गई है।  प्राथमिकता के आधार पर सात निश्चय की योजनाओं को राशि आवंटित की गई है। 

    योजना मद में 80 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान

    वित्त विभाग के मुताबिक राज्य सरकार ने बजट में 80 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान योजना मद में किया है। जबकि 86 हजार करोड रुपये का प्रावधान गैरयोजना मद में किया गया है। चालू वित्तीय वर्ष के बजट की तुलना में नए बजट में 22 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है।

    वित्तीय संकट के बावजूद राज्य सरकार को अपने बजट आकार में वृद्धि करना इसलिए भी आवश्यक हो गया है  क्योंकि सात निश्चय कार्यक्रमों को पर्याप्त राशि दी जानी है।

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    राज्यकर्मियों के लिए सातवें वेतनमान का भी इंतजाम

    नीतीश सरकार अगले वित्तीय वर्ष में राज्य कर्मियों को सातवां वेतनमान भी देने जा रही है। इसका खास ध्यान रखते हुए वित्त विभाग ने सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने हेतु साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ वहन करने की व्यवस्था की है।

    राज्य कर्मियों को सातवां वेतनमान देने के लिए राज्य सरकार पहले ही पूर्व मुख्य सचिव जीएस कंग की अध्यक्षता में राज्य वेतन आयोग का गठन किया गया है। आयोग अपनी रिपोर्ट जल्द ही सरकार को सौंपने वाली है। 

    सरकार पर बढ़ेगा अतिरिक्त बोझ

    आर्थिक संकट के बावजूद राज्य सरकार ने अगले बजट के आकार में यह बढ़ोतरी की है। 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्य को फिलहाल केंद्र से करीब 50 हजार करोड़ रुपये का सालाना नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं शराबबंदी के कारण हर वर्ष करीब 4,000 करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित होना पड़ रहा है।

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    आर्थिक संकट इस कारण भी है क्योंकि पिछले वर्ष से ही केंद्र सरकार ने लगभग सभी केंद्रीय योजनाओं में केंद्रांश कम कर दिए हैं। ऐसे में राज्य सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ा है।