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    Bihar Chunav: पार्टी कार्यालय पर लग रही भावी प्रत्याशियों की भीड़, बायोडाटा में क्यूआर कोड और पोर्टल का लिंक भी

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 02:00 AM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट पाने के लिए उम्मीदवार कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वे पार्टी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं और बायोडाटा को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं। बायोडाटा में शैक्षणिक योग्यता सामाजिक कार्य और पार्टी से जुड़ाव जैसी जानकारी शामिल की जा रही है। क्यूआर कोड और पोर्टल लिंक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फोटो जागरण)

    जयशंकर बिहारी, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट सुनिश्चित कराने के लिए भावी प्रत्याशी बायोडाटा के साथ पार्टी कार्यालयों और वरीय नेताओं के आवास के आसपास घंटों पसीना बहा रहे हैं।

    कई का बायोडाटा वरीय नेता तक पहुंचने के पहले ही सुधार के नाम पर रिजेक्ट कर दिया जा रहा है तो कई क्यूआर कोड और पोर्टल का लिंक साझा कर दूसरों के लिए नजीर पेश कर रहे हैं।

    दरभंगा से पहुंचे एक भावी प्रत्याशी ने बताया कि चार-पांच पेज से अधिक का बायोडाटा नहीं देने का निर्देश नेता जी से प्राप्त हुआ था। अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पोर्टल का लिंक और क्यूआर कोड भी बायोडाटा में मेंशन किया है।

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    भावी प्रत्याशियों का कहना है कि बायोडाटा ही फर्स्ट इंप्रेशन होता है। यह बेहतर होगा तो टिकट मिलने की संभावना भी अधिक होगी। बायोडाटा में शैक्षणिक योग्यता, सामाजिक गतिविधि, पार्टी से जुड़ाव के साथ-साथ अपनी जाति और क्षेत्र में प्रभाव को भी बताया जा रहा है।

    अखबार की कतरन संजो रहे हैं

    भावी प्रत्याशी बायोडाटा को प्रभावी बनाने के लिए अखबार की कतरन का भी खूब उपयोग कर रहे हैं। कई संजो कर रखे हैं तो कई कतरन के लिए लाइब्रेरी की दौड़ लगा रहे हैं। पार्टी से लंबे समय से जुड़ाव को दर्शाने के लिए भावी प्रत्याशी अखबार में प्रकाशित खबरों को सबूत के तौर पर पेश कर रहे हैं।

    अधिसंख्य पिछले पांच वर्ष की गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। बायोडाटा पोर्टल पर वर्षवार पार्टी से जुड़ी गतिविधियों में अपनी भागीदारी को दर्शा रहे हैं। रैली या वरीय नेताओं की सभाओं में भागीदारी और उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधा व संसाधन की भी जानकारी दे रहे हैं।

    25 हजार से पांच लाख रुपये तक कर रहे खर्च

    भावी प्रत्याशियों का बायोडाटा दुरुस्त करने के लिए विशेषज्ञ 25 हजार से दो लाख रुपये तक फीस वसूल रहे हैं। बायोडाटा बनाने में सहयोग करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि थ्री-डी की मांग सबसे अधिक है।

    क्यूआर कोड और पोर्टल के साथ बायोडाटा के लिए पांच लाख रुपये तक फीस ली जा रही है। इंटरनेट पेज पर स्पेस, ग्राफिक्स, वीडियो के साथ फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम आदि इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपग्रेडेशन की भी सुविधा दी जाती है।

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