Bihar Elections: साझा मंच की बात रह गई पीछे, महागठबंधन के दल चल पड़े अपनी राह
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन तक महागठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया। राजद, कांग्रेस और अन्य दलों ने अलग-अलग उम्मीदवार सूची जारी की। राजद 143 सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जबकि कांग्रेस को 61 सीटें मिलीं। वाम दल 30 सीटों पर और वीआइपी 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। एनडीए ने पहले ही अपनी सूची जारी कर दी थी। महागठबंधन में असहमति चुनावी अभियान को प्रभावित कर सकती है।

तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे व राहुल गांधी। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन के अंतिम दिन तक महागठबंधन में सीटों पर आखिरी क्षण तक चली खींचतान के बीच राजद, कांग्रेस और अन्य घटक दलों ने अपनी उम्मीदवार सूची अलग-अलग जारी की। साझा मंच से सूची जारी करने का वादा हवा हो गया और दलों ने देर रात तक अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक किए। आधिकारिक रूप से महागठबंधन के सबसे बड़ा दल राजद सर्वाधिक 143 सीटों पर चुनाव मैदान में जाएगा।
70 की कोशिश की, लेकिन 61 ही ले पाई कांग्रेस
बिहार कांग्रेस को महागठबंधन में इस बार कुल 61 सीटें मिली हैं। हालांकि अंतिम समय तक कांग्रेस 2020 के चुनाव की भांति कम से कम 70 सीटों के लिए जोर लगाती रही। लेकिन उसकी कोशिश उसे 61 सीटें ही दिला पाई। वाम दल इस बार 30 सीटों पर मैदान में होंगे। जबकि लगातार 60 सीट और उप मुख्यमंत्री पद की मांग करने वाली विकासशील इंसान पार्टी को कुल 9 सीटें ही मिल पाई। महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला ऐसा फंसा रहा कि मजबूरी कहें या कुछ और गठबंधन के सहयोगी दलों ने सीट की घोषणा के पहले ही उम्मीदवारों को सिंबल देना शुरू कर दिया था। यहां उल्लेखनीय है कि आधिकारिक रूप से भले ही महागठबंधन 243 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है परंतु उसके कुल 254 मैदान में मोर्चा संभालने की तैयारी कर रखी है।
वाम दलों की सीटें 30, उम्मीदवार उतारे 35
वाम दलों के खाते में 30 सीट है जबकि उसके 35 उम्मीदवार मैदान में हैं। वीआइपी को नौ सीट ही मिली किंतु उसके 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। कई सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों के बीच मतभेद बरकरार हैं। दूसरी ओर, एनडीए ने उम्मीदवारों की सूची सप्ताह भर से अधिक समय पहले ही जारी कर दी थी। भाजपा और जदयू 101-101 लोजपा रामविलास 29, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा 6 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा 6 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। विश्लेषक मानते है कि महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और टिकट चयन को लेकर बनी असहमति चुनावी अभियान को प्रभावित कर सकती है। हालांकि नेताओं का दावा है कि नामांकन के बाद सभी दल एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरेंगे और जनता महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार और वोट चोरी के मुद्दे पर सरकार को जवाब देगी।
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