बिहार चुनाव में जीविका और प्रशासनिक मशीनरी के दुरुपयोग के आरोप, राजद ने चुनाव आयोग से कराई जांच की मांग
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार चुनाव में जीविका कार्यकर्ताओं और प्रशासनिक मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। राजद ने चुनाव आयोग से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। पार्टी ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग से हस्तक्षेप करने की अपील की है। राजद का आरोप है कि कार्यकर्ताओं को सरकार के समर्थन में प्रचार के लिए मजबूर किया जा रहा है।

जीविका को लेकर राजद ने खटखटाया चुनाव आयोग का दरवाजा
राज्य ब्यूरो, पटना। पहले चरण के मतदान के एक दिन राजद ने गोपालगंज जिले में स्वीप गतिविधियों के तहत जीविका एवं प्रशासनिक मशीनरी के दुरुपयोग कर चुनाव प्रभावित करने के आरोप लगाया है।
राजद के राज्यसभा सांसद संजय यादव ने इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग को एक पत्र भेजा है।
जिसमें उन्होंने मांग की है कि गोपालगंज जिले में जीविका के माध्यम से चलाए जा रहे स्वीप कार्यक्रम को तत्काल स्थगित करने और अन्य जिलों में इस प्रकार की गतिविधियों की समीक्षा की मांग की है।
संजय यादव ने आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि गोपालगंज समेत कई जिलों में प्रशासन मतदाता जागरूकता के नाम पर स्वीप कार्यक्रम के तहत जीविका और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रहा है।
जो सीधे-सीधे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही लोकतांत्रिक निष्पक्षता और प्रशासनिक तटस्थता की मूल भावना के विपरीत भी। उन्होंने पत्र में यह भी जानकारी दी है कि इस संबंध में जिले के डीएम की ओर से जीविका संगठन के माध्यम से जिले के सभी 2473 मतदान केंद्रों पर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश भी दिए हैं।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भी इसी प्रकार का दुरुपयोग किया गया था। उस समय जिला नियंत्रण कक्षों से जीविका परियोजना प्रबंधकों को निर्देश देकर पंचायत एवं गांव के स्तर पर फोन काल्स के माध्यम से मतदाताओं को सत्तारूढ़ृ दल के पक्ष में प्रभावित किया गया था।
संजय यादव ने 10 हजार रुपये की राशि बांटने और उसे वापस न लेने के आदेश का हवाला देकर इसे सरकारी धन का दुरुपयोग और मतदान में प्रलोभन एवं अनुचित प्रभाव की बात भी कही है।
राजद नेता ने मांग की है कि स्वीप कार्यक्रम को तत्काल स्थगित किया जाए। अन्य जिलों में ऐसी गड़बड़ी की समीक्षा की जाए। इसकी निष्पक्ष जांच किसी बाहर के कैडर के उच्चाधिकारी से कराई जाए।
साथ ही यह निर्देश दिया जाए कि मतदाता जागरूकता में जीविका सहायता समूह या किसी सरकारी वित्त पोषित संस्था को स्वीप कार्यक्रम में शामिल ने किया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो यह घटना चुनाव की निष्पक्षता पर गंभी प्रश्नचिह्न भी लगाती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।