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    बिहार चुनाव: नामांकन खत्म, महागठबंधन में सीटों का घमासान जारी

    By Sunil Raj Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 07:59 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन महागठबंधन में सीटों का बँटवारा अभी तक नहीं हो पाया है। दलों के बीच खींचतान जारी है, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ रहा है। प्रत्येक दल अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है, जिससे सहमति बनाने में कठिनाई हो रही है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो चुनाव परिणामों पर असर पड़ सकता है।

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    महागठबंधन में नहीं सुलझा सीटों का पेच। जागरण

    सुनील राज, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे का विवाद अब तक सुलझ नहीं सका है। राजद, कांग्रेस और वीआइपी (विकासशील इंसान पार्टी) के बीच कई सीटों को लेकर विवाद कायम है। इन सीटों पर खींचतान ऐसी है कि कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं कि आखिर किसे उम्मीदवार माना जाए। कई सीटों का बंटवारा होने के बाद भी राजद ने कांग्रेस के कोटे की सीट पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं तो कहीं राजद की सीट पर कांग्रेस ने। वीआइपी में तो स्थिति ऐसी हो गई कि मुकेश सहनी को मजबूरी में घोषणा तक करनी पड़ गई कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे।

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    कांग्रेस कर रही ताकत बढऩे का दावा, राजद भी झुकने को तैयार नहीं

    सीटों को लेकर राजद-कांग्रेस का विवाद कोई नया नहीं है। एक ओर जहां कांग्रेस, राहुल गांधी की वोट चोरी यात्रा के बाद पार्टी की ताकत बढ़ने का हवाला देकर ज्यादा सीटों की मांग पर लगातार अड़ी है। दूसरी ओर राजद भी झुकने को तैयार नहीं। राजद 2020 के कांग्रेस के स्ट्राइक रेट के आधार पर अधिक सीटों देने को सहमत नहीं। हालात ऐसे बने क‍ि पहले चरण के नामांकन के बाद भी महागठबंधन एक मंच पर आकर सीटों की घोषणा नहीं कर पाया है। हालांकि दोनों दलों की ओर से दावा किया जा रहा है कि महागठबंधन में कोई विवाद नहीं। परंतु सीटों को लेकर जो विवाद चल रहा है उसमें अलग ही कहानी है। महागठबंधन में तालमेल का अभाव इस बात से समझा जा सकता है कि कई सीटों पर विरोधियों से लडऩे की बजाय महागठबंधन के दल आपस में ही गुथमगुत्थी कर रहे हैं।

    एनडीए की बजाय महागठबंधन नेता आपस में उलझेंगे


    ऐसी सीटों में लालगंज विधानसभा क्षेत्र है। यह सीट बंटवारे में कांग्रेस के पाले में आई। कांग्रेस ने आदित्य कुमार राजा काे उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। लेकिन कुछ देर बाद ही राजद ने यहां से शिवानी शुक्ला को मैदान में उतार दिया। अकेले लालगंज नहीं ऐसी और भी सीटें हैं। बछवाड़ा में कांग्रेस-सीपीआइ आमने-सामने आ गए हैं। कहलगांव सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट थी। उसे यह सीट मिली भी और कांग्रेस ने प्रवीण सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार सौंपी। कुछ देर बाद राजद ने भी यहां से अपना उम्मीदवार उतार दिया। ऐसा ही विवाद सिकंदरा सीट पर राजद-कांग्रेस के बीच है।

    वीआइपी का भी नहीं सुलझा पेच, सहनी डिप्टी सीएम पर अड़े

    इधर मुकेश सहनी को लेकर भी महागठबंधन के बीच गांठे और गहरी होती जा रही है। वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी को अपना मित्र बताने वाले तेजस्वी यादव अब उन्हें सीटें देने से कतरा रहे हैं। सहनी की घोर नाराजगी और प्रेस कांफ्रेंस की घोषणा के बाद हालांकि राहुल गांधी ने सहनी को आश्वस्त किया, परंतु तेजस्वी ने मौन ही साधे रखा। काफी कोशिशों के बाद सहनी को फिलहाल छह सीटें मिल पाई हैं। उस पर भी सहनी दरभंगा की जिस गौड़ाबौराम सीट मिलने के बाद नामांकन को बढ़े वहां से राजद ने अपना प्रत्याशी दे दिया। जिसके बाद सहनी ने अपने कदम पीछे लिए और भाई का नामांकन करा दिया। हालांकि सहनी दावा कर रहे हैंं कि वे महागठबंधन के लिए प्रचार करेंगे परंतु चुनाव नहीं लड़ेंगे और राज्यसभा भी नहीं जाएंगे। वे उप मुख्यमंत्री के पद पर अड़े हुए हैं।

    रस्साकशी एनडीए खेमे के लिए राहत की खबर

    महागठबंधन के भीतर की यह रस्साकशी एनडीए खेमे के लिए राहत की खबर मानी जा रही है। भाजपा-जदयू, लोजपा आर और हम (से) ने ज्यादातर उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं और प्रचार अभियान भी तेज कर दिया गया है। परंतु महागठबंधन अब तक आपसी मतभेद से बाहर नहीं निकल पाया है। राजद और कांग्रेस के बीच समन्वय को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर महागठबंधन ने जल्द सीटों का पेच नहीं सुलझाया तो एनडीए को इसका सीधा लाभ मिलना करीब-करीब तय है।