Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में 'प्रधान' के भरोसे भाजपा, 2014 में दिला चुके हैं सफलता
भाजपा ने बिहार चुनाव के लिए धर्मेंद्र प्रधान को प्रभारी नियुक्त किया है। उनके साथ सी. आर. पाटिल और केशव प्रसाद मौर्य सह-चुनाव प्रभारी होंगे। प्रधान को पहले भी बिहार में चुनावी रणनीति बनाने का अनुभव है। मौर्य कुशवाहा वोट बैंक को साधने में मदद करेंगे वहीं पाटिल प्रवासियों को आकर्षित करने में सहायक होंगे। भाजपा बिहार में जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।

राज्य ब्यूरो, पटना। पहले यह तय हुआ था कि बिहार चुनाव में भाजपा बिना प्रभारी के उतरेगी और अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तैनाती हो गई है। चूंकि लड़ाई तगड़ी होनी है, लिहाजा कदम-कदम पर रणनीति में अपेक्षित परिवर्तन होता रहेगा।
प्रधान की तैनाती के साथ शीर्ष नेतृत्व ने बिहार इकाई को यही संदेश दिया है। उनके साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल एवं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सह चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
पाटिल केंद्रीय मंत्री बनाए जाने से पहले भाजपा की गुजरात इकाई के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे। इसी तरह मौर्य उप मुख्यमंत्री बनाए जाने से पहले उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।
कुशल संगठनकर्ता और प्रशासनिक अनुभव वाले तीन दिग्गजों को बिहार का दायित्व सौंपकर भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बिहार विजय की अपनी रणनीति में कोई कमी नहीं रहने देगी। प्रधान को बिहार में भाजपा की चुनावी रणनीति बनाने का अच्छा-खास अनुभव है, जो काफी सफल भी रही है।
प्रधान का सांगठनिक व रणनीतिक दक्षता अचूक
धर्मेंद्र प्रधान 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बिहार भाजपा के प्रभारी थे, तब बिहार में भाजपा को बड़ी जीत मिली थी। इसके अलावा भी वे कई मौकों पर पार्टी में महत्वपूर्ण दायित्व संभाल चुके हैं।
इससे पहले वे उत्तर प्रदेश और कर्नाटक आदि में बड़े चुनावी दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। उनका रणनीतिक कौशल और उनकी संगठनात्मक क्षमता बिहार में एनडीए के लिए कारगर सिद्ध हो सकती है, ऐसा भाजपा मान रही।
वे पड़ोसी राज्य ओडिशा से आते हैं और बिहार की गहरी रणनीतिक समझ रखते हैं। मौर्य भी पड़ोसी उत्तर प्रदेश के हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों की राजनीति पर एक-दूसरे प्रदेशों का थोड़ा-बहुत प्रभाव तो रहता ही है। भाजपा का मानना है कि वह प्रभाव भी कारगर हो तो कई सीटों को साधा जा सकता है।
मौर्य के भरोसे आठ प्रतिशत वोट
मौर्य को सह प्रभारी बनाकर भाजपा ने आठ प्रतिशत कुशवाहा वोट बैंक को साधने का एक और जुगाड़ किया है। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने कुशवाहा वोट बैंक में थोड़ी-बहुत सेंधमारी कर दी थी।
उसके बाद से भाजपा चैतन्य है। अब उसने मौर्य को उतारकर समाज विशेष को संदेश देने का प्रयास किया है। पड़ोसी होने के कारण कुछ प्रभाव-पकड़ भी है और अपनेपन का आसरा भी।
प्रवासियों को साधेंगे पाटिल
गुजरात में प्रवास करने वाले बिहार के मानव-बल के बीच पाटिल की रसूखदार छवि है। इसके अलावा संगठनात्मक रणनीति बनाने के कई मौकों पर पार्टी को बढ़त दिलाकर उन्होंने नेतृत्व को संतुष्ट रखा है और उसका विश्वास जीता है। गुजरात के बड़े उद्यमियों पर पकड़ रखने के कारण भी प्रवासी मतदाताओं के बीच उनकी अच्छी पैठ है।
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