बिहार की सियासी कमान संभालेंगे धर्मेंद्र प्रधान; भाजपा ने बनाई चुनावी रणनीति, केशव और पाटिल सह प्रभारी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी चुनावी टीम घोषित कर दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बिहार चुनाव का प्रभारी बनाया गया है जबकि सीआर पाटिल और केशव प्रसाद मौर्य सह प्रभारी होंगे।चुनाव आयोग 6 अक्टूबर के बाद कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।

राज्य ब्यूरो,पटना। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश प्रभारी मनोनीत किया हैं। इसके साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल एवं उत्तर प्रदेश उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बिहार का सह चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
सीआर पाटिल केंद्रीय मंत्री बनाए जाने से पहले गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। इसी तरह केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश उप मुख्यमंत्री बनाए जाने से पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, धर्मेंद्र प्रधान की बात करें 2014 के लोकसभा बिहार भाजपा के प्रभारी रहते हुए भाजपा की बड़ी जीत मिली थी। तीन अनुभवी में कुशल संगठक मंजे हुए दिग्गज नेता को बिहार का दायित्व सौंप कर भाजपा ने दूरगामी संदेश देने का प्रयास किया है।
धर्मेंद्र प्रधान की बात करें तो वे कई मौकों पर पार्टी की अहम दायित्व संभाल चुके हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में बड़ी चुनावी जिम्मेदारी प्रधान को मिल चुकी है। धर्मेंद्र प्रधान का रणनीतिक कौशल एवं संगठनात्मक क्षमता बिहार में एनडीए के लिए कारगर साबित हो सकता है। मूलत: प्रधान बिहार के पड़ौसी राज्य ओडिशा से आते हैं और अच्छी रणनीतिक समझ रखते हैं।
आठ प्रतिशत वोट बैंक पर नजर
भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य सह प्रभारी बनाकर बिहार की राजनीति में एक मुश्त आठ प्रतिशत कुशवाहा वोट बैंक को साधने की पहल की है। विशेषकर 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से कुशवाहा वोट बैंक में की गई सेंधमारी से सबक लेते हुए भाजपा ने मौर्य को उतारकर बड़ा संदेश देने का काम किया है। बिहार के पड़ौसी राज्य के होने के कारण मौर्य की बिहार के कुशवाहा समाज में अच्छी पकड़ है।
सीआर पाटिल की साधेंगे गुजरात समीकरण
केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल की गुजरात में प्रवासन वाले लाखों बिहारियों के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं। इसके साथ ही पार्टी के लिए संगठनात्मक रणनीति बनाने में कई मौके पर नेतृत्व का दिल जीतने में सफल रहे हैं। गुजरात के बड़े उद्यमियों पर पकड़ रखने के कारण भी बिहारी मतदाताओं के बीच पाटिल की अच्छी पैठ है।
तीनों नेताओं की खासियतें
- धर्मेंद्र प्रधान: 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनकी संगठनात्मक क्षमता और चुनाव प्रबंधन कौशल को देखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है।
- सीआर पाटिल: गुजरात भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उनकी प्रबंधन क्षमता को भाजपा ने सराहा है।
- केशव प्रसाद मौर्य: उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत मानी जाती है, खासकर ओबीसी वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है।
चुनावी परिदृश्य
बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं और इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। चुनाव आयोग 6 अक्टूबर के बाद कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है, जिसके बाद नवंबर में मतदान और परिणाम आने की उम्मीद है।
भाजपा की रणनीति
भाजपा ने इन तीन अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपकर अपनी चुनावी रणनीति का संकेत दे दिया है। यह टीम बिहार में चुनावी रणनीति तय करने, संगठन को मजबूत करने और एनडीए के सहयोगी दलों के साथ समन्वय बनाने का काम करेगी ³।
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