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    Bihar Election: मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत दी गई राशि कर्ज नहीं, अनुदान पर छिड़ी सियासत

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 08:17 AM (IST)

    बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को लेकर राजनीतिक विवाद गहरा गया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार महिलाओं को कर्ज दे रही है, जबकि सरकार का कहना है कि यह अनुदान है। इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, जिससे योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

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    मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना पर छिड़ी सियासत

    राज्य ब्यूरो, पटना। आदर्श आचार संहिता के कारण मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 10 हजार रुपये देने के लिए किसी समारोह का आयोजन नहीं हो रहा है। लेकिन, पहले से चल यह योजना अब जारी है।

    अलग-अलग समय पर समारोह आयोजित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक करोड़ 21 लाख महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये का भुगतान किया था। पहले से चल रही किसी योजना पर आदर्श आचार संहिता का असर नहीं पड़ता है।

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    ग्रामीण विकास विभाग के एक अधिकारी के अनुसार अबतक इस योजना के तहत एक करोड़ 51 लाख महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये जमा करा दिए गए हैं। बाकी महिलाओं के खाते में भी दिसंबर तक यह राशि चली जाएगी।

    अधिकारी ने बताया कि अब तक योजना से वंचित रह गई महिलाएं अब भी आवेदन कर सकती हैं। इस योजना की कोई अंतिम तिथि निर्धारित नहीं की गई है। जब तक राज्य की सभी पात्र महिलाएं योजना में शामिल नहीं हो जातीं, तब तक यह जारी रहेगी।

    योजना का लक्ष्य अपनी पसंद का रोजगार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री के लिए गांव से लेकर शहर तक हाट-बाजार भी विकसित किए जाएंगे।

    दो लाख की अतिरिक्त सहायता भी

    पहले चरण में प्राप्त दस हजार रुपये की राशि का सही उपयोग कर रोजगार शुरू करने पर संबंधित महिला दो लाख रुपये तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता के लिए पात्र होगी।

    राज्य सरकार इस योजना के तहत महिलाओं को अनुदान दे रही है, जिसे वापस नहीं करना है। इस योजना का लाभ राज्य के प्रत्येक परिवार की एक पात्र महिला को मिलेगा।

    जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं पात्र हैं। महिलाएं अभी तक जीविका स्वयं सहायता समूह से नहीं जुड़ी हैं, उन्हें समूह से जोड़कर इस योजना का लाभ दिया जाएगा।

    योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वाली महिला की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आवेदिका या उसके पति आयकर दाता नहीं हों और न ही किसी सरकारी सेवा (नियमित या संविदा) में कार्यरत हों।

    10 हजार रुपये देने के मामले में कार्रवाई करे आयोग

    राज्य ब्यूरो, पटना। राजद के राज्यसभा सदस्य प्रो. मनोज झा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को जारी रखने पर राज्य सरकार के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में प्रो. झा ने कहा कि यह आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का गंभीर मामला है।

    इस योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार के नाम पर 10-10 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी 17, 24 एवं 31 अक्टूबर को महिलाओं के खाते में रुपये भेजे गए हैं। उन्होंने कहा कि अगली किस्त देने की तिथि सात नवंबर तय की गई है। दूसरे चरण के मतदान के चार दिन पहले यह राशि दी जाएगी।

    इससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होगी। यह निष्पक्ष और भयमुक्त मतदान की धारणा को भी प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि राज्य में छह अक्टूबर से आदर्श आचार संहिता लागू है। इस अवधि में कोई सरकार चुनावी लाभ के लिए जन -धन का उपयोग नहीं कर सकती है।
     

    महिलाओं को आत्मनिर्भर होते देख राजद परेशान

    राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा ने शनिवार को अपने एक्सहैंडल पर लिखा कि महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर होते देख राजद को परेशानी हो रही है। राजद का महिला विरोधी चेहरा फिर बेनकाब हुआ है।

    महिलाओं को सशक्त करने हेतु इस वर्ष शुरू हुई मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना तथा इसके तहत राज्य की 1.5 करोड़ महिलाओं को स्वरोजगार के लिए दस-दस हजार रुपये दिये जाने पर भी अब राजद को आपत्ति है, जबकि यह क्रांतिकारी योजना है।

    राजद ने चुनाव आयोग से शिकायत कर दस-दस हजार रुपये देना बंद करने की मांग की है! राजद को लग रहा है कि उसका तथाकथित जातीय और धार्मिक ‘वोट बैंक’ बिखर जाएगा। इसलिए उसने पहले यह अफवाह फैलाना शुरू किया कि सरकार पैसे वापस ले लेगी।

    जब उसकी यह चाल काम नहीं आई, तो योजना को बंद करवाने के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया है। संजय झा ने कहा कि नीतीश कुमार ने नवंबर 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद से ही महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करना शुरू कर दिया।