Bihar election 2025: महागठबंधन का टारगेट एनडीए के गढ़, दूसरे दौर में कड़ी टक्कर तय
Bihar elections 2025 बिहार में आगामी 2025 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र, महागठबंधन ने एनडीए के मजबूत क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दूसरे चरण में दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव
टीम जागरण, पटना। Bihar election 2025 दूसरे चरण में कुल 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को मतदान होना है। दूसरे चरण में जिन प्रमुख नेताओं के भाग्य का निर्णय होगा, उनमें पक्ष-विपक्ष के कई दिग्गज हैं। एनडीए की ओर से दो पूर्व उप मुख्यमंत्री (तार किशोर प्रसाद एवं रेणु देवी) के अतिरिक्त, नीतीश मिश्रा, बिजेंद्र प्रसाद यादव, लेशी सिंह, प्रेम कुमार मैदान में हैं।
वहीं, महागठबंधन की ओर से दिग्गज चेहरे में सिकंदरा से राजद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, कुटुंबा से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कटिहार की कदवा सीट से कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान एवं भाकपा (माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम मैदान हैं।
2020 चुनाव की तुलना में गठबंधनों का समीकरण भी बदला है। स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ी लोजपा अब एनडीए के साथ है। एनडीए की सहयोगी रही वीआइपी अब महागठबंधन के साथ। पहले की तरह दूसरे चरण की कई सीटें भी सुर्खियों में हैं।
परिहार की लड़ाई में तीनों महिलाएं
परिहार सीट पर रोचक मुकाबला है। लड़ाई तीन महिलाओं में है। यहां राजद की बागी रितु जायसवाल निर्दलीय मैदान में हैं। पिछली बार से भाजपा की गायत्री देवी से मामूली वोटों से हारी थीं।
राजद के पूर्व मंत्री डा. रामचंद्र पूर्वे की पुत्रवधू स्मिता पूर्वे को खड़ा किया है। भाजपा से विधायक गायत्री देवी मैदान में हैं। गायत्री देवी यादव हैं। वहीं, राजद की स्मिता पूर्वे सूढ़ी और रितु कलवार जाति से हैं। दोनों वैश्य हैं, जो भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं।
सिकटा का समीकरण उलझा है बागी से
सिकटा विधानसभा क्षेत्र में जदयू के बागी के रूप में पूर्व मंत्री खुर्शीद फिरोज अहमद निर्दलीय लड़ रहे हैं। इससे यहां त्रिकोणीय लड़ाई बन रही है।
इस बार वीरेंद्र गुप्ता महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। वहीं, एनडीए से जदयू प्रत्याशी के रूप में दिलीप वर्मा के पुत्र समृद्ध वर्मा खड़े हैं। यहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
हरसिद्धि में मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर
अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हरसिद्धि से गन्ना उद्योग मंत्री व भाजपा प्रत्याशी कृष्णनंदन पासवान की प्रतिष्ठा दांव पर है। राजद ने इस बार उनके मुकाबले राजेंद्र कुमार राम को खड़ा किया है। यहां लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जन सुराज पार्टी के अवधेश राम लगे हैं।
अवधेश लंबे समय तक जदयू से जुड़े रहे। टिकट नहीं मिलने पर जन सुराज से खड़े हो गए। यहां मुकाबला राम बनाम पासवान है। कुशवाहा व मल्लाह के साथ सवर्ण वोटर हैं।
झंझारपुर में पुराने चेहरों के बीच मुकाबला
झंझारपुर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के पुत्र व उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा प्रत्याशी नीतीश के सामने चुनौती पिछली बार के ही योद्धा महागठबंधन के भाकपा प्रत्याशी राम नारायण यादव की है।
इस बार जन सुराज पार्टी के केशव चंद्र भंडारी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं। ब्राह्मण, यादव, अति-पिछड़ा, मुस्लिम वोटरों की संख्या अच्छी है।
भाजपा व महागठबंधन के बेस वोट में जन सुराज पार्टी की सेंधमारी मुकाबले को दिलचस्प बना रहा। केशव चंद्र अति-पिछड़ा से हैं, जिसका वोट एनडीए का माना जाता है। ये वोट काटेंगे तो मंत्री की राह मुश्किल होगी।
शिवहर में रोकना होगा राजपूत वोटों का बिखराव
शिवहर सीट से विधायक चेतन आनंद की जगह जदयू ने वैश्य समाज की डा. श्वेता गुप्ता को खड़ा किया है। वैश्य इस सीट पर निर्णायक स्थिति में हैं। राजपूतों की संख्या भी अच्छी-खासी है।
एनडीए के सामने दो कांटे और हैं। एक बसपा से खड़े मो. शरफुद्दीन हैं। वे जदयू से दो बार विधायक रहे चुके हैं। टिकट नहीं मिलने पर बागी बनकर मैदान में हैं।
दूसरे हैं, जन सुराज पार्टी से राजपूत समाज के उद्योगपति नीरज सिंह। वे अपनी जाति का वोट काटने में पूरा जोर लगाए हैं। राजद ने ब्राह्मण समाज के रघुनाथ झा के पौत्र नवनीत कुमार को खड़ा किया है।
मोतिहारी में प्रमोद का छक्का या दो बागी बिगाड़ेंगे खेल
भाजपा की मजबूत सीटों में मोतिहारी से पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार लगातार पांच बार जीतने के साथ छठी बार मैदान में हैं। प्रमोद का सामना इस बार राजद ने युवा देवा गुप्ता से है।
यहां जन सुराज पार्टी से भाजपा के बागी डा. अतुल कुमार हैं तो जदयू के बागी दिव्यांशु भारद्वाज निर्दलीय मैदान में हैं।
गोपालपुर के मैदान में विधायक है बागी
गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में जदयू ने वर्तमान विधायक नरेंद्र कुमार नीरज का टिकट काट दिया है। यहां से जदयू ने पूर्व सांसद व बिहपुर के पूर्व विधायक शैलेश कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
प्रेम सागर वीआइपी से उम्मीदवार हैं। जन सुराज से मंकेश्वर सिंह चुनाव मैदान में हैं।
जोकीहाट में तस्लीमुद्दीन के दो बेटों की जंग
जोकीहाट में इस बार मुकाबला पूरी तरह तस्लीमुद्दीन परिवार के दो बेटों की टक्कर पर टिक गया है। यह सीट मुस्लिम बहुल हैं। तस्लीमुद्दीन के छोटे पुत्र शाहनवाज़ आलम राजद से प्रत्याशी हैं, जबकि बड़े पुत्र सरफराज आलम जनसुराज पार्टी से मैदान में हैं।
वहीं, एआइएमआइएम ने मुर्शीद आलम को टिकट दिया है, जबकि जदयू मंजर आलम प्रत्याशी हैं। यहां मुकाबला चतुष्कोणीय हैं।
धमदाहा की लड़ाई का रोमांच ही अनोखा
धमदाहा में इस बार मुकाबला दिलचस्प है। जदयू ने पांच बार की विजेता और मंत्री लेशी सिंह को फिर मैदान में उतारा है।
राजद ने रणनीति बदलते हुए संतोष कुशवाहा, जो जदयू के पूर्व सांसद हैं, को अपने पक्ष में लाकर यादव–कुशवाहा समीकरण को साधने की कोशिश की है।
इसके अलावा जनसुराज ने यादव उम्मीदवार राकेश कुमार उर्फ बंटी यादव को मैदान में उतारा है।
अरवल में भाजपा व भाकपा माले के बीच लड़ाई
अरवल सीट पर दो बार से एनडीए को हार का सामना करना पड़ रहा है। 2015 में 17 हजार 810 मतों से राजद के रविंद्र सिंह और 2020 में 19 हजार 950 मतों से भाकपा माले के महानंद सिंह ने जीत हासिल की थी।
इस बार भी भाकपा माले से महानंद सिंह चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने यहां से पूर्व विधायक मनोज शर्मा को मैदान में उतारा है। 2010 में यह सीट भाजपा के कब्जे में थी।
भाजपा के चितरंजन शर्मा ने महानंद सिंह को 4202 वोट के मामूली अंतर से हराकर जीत हासिल की थी। इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा व भाकपा माले के बीच है। कुल 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जन सुराज प्रत्याशी कुंती देवी है।
करगहर में चार प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला
करगहर विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो इस बार फिर करगहर में चार प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला है, जिनमें कांग्रेस के निवर्तमान विधायक संतोष कुमार मिश्र, जदयू के पूर्व विधायक वशिष्ठ सिंह, जन सुराज के रितेश पांडेय व बसपा के उदय प्रताप सिंह शामिल हैं।
मोहनियां में पाला बदल की परीक्षा
मोहनियां में वर्ष 2015 में भाजपा की जीत हुई थी। वर्ष 2020 में यह सीट राजद के हाथ में चली गई। 2020 में राजद की संगीता कुमारी ने जीत हासिल की।
संगीता कुमारी को 61235 मत प्राप्त हुए। जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के निरंजन राम को 49181 मत प्राप्त हुए। इस तरह राजद को 12054 मत से जीत मिली थी।
फुलपरास में दोनों ओर रोकनी है सेंधमारी
एनडीए की जदयू प्रत्याशी परिवहन मंत्री शीला मंडल फुलपरास सीट से एक और जीत के लिए प्रयासरत हैं। कांग्रेस ने इस बार ब्राह्मण चेहरे की जगह धानुक समाज से आने वाले सुबोध मंडल को उतारा है।
ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जन सुराज पार्टी से जलेंद्र कुमार मिश्रा हैं, जो एनडीए के कोर वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे। वहीं, निर्दलीय विजय चौधरी अति-पिछड़ा केवट समाज से आते हैं। यादव बाहुल्य इस सीट से तीन यादव उम्मीदवार बसपा से विजय यादव, आप से गौरी शंकर यादव और एक निर्दलीय महागठबंधन के लिए चुनौती हैं।
कुटुंबा में घिरे हैं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष
दो बार से अपराजेय कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को इस बार एनडीए प्रत्याशी ललन राम से कड़ी चुनौती मिल रही है। 2010 में जदयू से विधायक बने ललन राम (भुइयां) इस बार एनडीए के उम्मीदवार हैं।
2020 में वे निर्दलीय लड़े और 20,433 मत पाकर एनडीए का खेल बिगाड़ दिया था, जिससे राजेश राम की नैया पार लग गई थी।
इस बार वही ललन राम फिर मैदान में हैं और एनडीए की उम्मीद उन पर टिकी है। औरंगाबाद में प्रधानमंत्री की जनसभा से उन्हें ऊर्जा मिली है।
दूसरी ओर राहुल गांधी का भी अब असर है। जब वे ‘वोट अधिकार यात्रा’ पर आए थे, तो यहीं रात बिताई थी।
सुल्तानगंज में महागठबंधन का दोस्ताना संघर्ष
सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के दो उम्मीदवारों के बीच फ्रेंडली फाइट है। यह सीट कांग्रेस की रही है और इसने फिर से ललन कुमार को टिकट दिया है, जबकि राजद ने यहां से चंदन कुमार को राजद का प्रत्याशी बनाया गया है।
जदयू से वर्तमान विधायक ललित नारायण मंडल और जन सुराज पार्टी से राकेश कुमार प्रत्याशी हैं। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। राजद व कांग्रेस एम-वाई व पचपौनिया के भरोसे चुनाव मैदान में हैं।
गया टाउन में मुकाबला आमने-सामने
गया टाउन सर्वाधिक राजनीतिक संवेदनशीलता के साथ हाई प्रोफाइल से जुड़ा हुआ है। सबसे रोचक है कि यहां मुकाबला आमने-सामने का है।
भाजपा के डा. प्रेम कुमार पिछले 35 वर्षों से गया टाउन के विधायक रहे हैं। इस दौरान राज्य सरकार के प्रमुख मंत्री पद का दायित्व इन्होंने संभाला है।
इनका मुकाबला महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव से है। श्रीवास्तव गया नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर हैं। वर्तमान में निगम की सशक्त स्थाई समिति के सदस्य हैं।
नवादा में एक से एक धुरंधर मैदान में, घमासान तगड़ा
नवादा की राजनीति में पिछले दो दशक से प्रतिद्वंदी रहे कौशल यादव और राजवल्लभ यादव ने चुनाव में रोमांच भर दिया है।
राजद से कौशल यादव स्वयं चुनाव लड़ रहे, तो पूर्व मंत्री राजवल्लभ की पत्नी विभा देवी जदयू से मैदान में हैं। अनुज सिंह मुकाबले को त्रिकोणीय स्वरुप देने में लगे हैं। वह जन सुराज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।
जहानाबाद में है आर-पार की प्रतिद्वंद्धिता
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला साफ तौर पर तीर बनाम लालटेन बन चुका है। इस बार राजद से जदयू के पूर्व विधायक राहुल शर्मा व जदयू से पूर्व सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी चुनाव मैदान में हैं।
जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी अभिराम शर्मा और हम के बागी निर्दलीय उम्मीदवार चुन्नु शर्मा तीसरा कोण बनाने में जुटे हैं।
बेलागंज में राजद और जदयू आमने-सामने
गया के दस विधानसभा क्षेत्रों में यह एकमात्र बेलांगज सीट एनडीए के जदयू खाते में है और यहां से महिला प्रत्याशी मनोरमा देवी चुनाव लड़ रही हैं।
इनका मुकाबला राजद के जहानाबाद सांसद डा. सुरेन्द्र प्रसाद यादव के पुत्र विश्वनाथ प्रसाद सिंह से है। डा. सुरेन्द्र प्रसाद के सासंद बन जाने के बाद 2024 में बेलागंज में उपचुनाव हुआ।
इमामगंज में जातीय समीकरण भारी
इमामगंज अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। यहां से केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की बहू और राज्य सरकार में लघु सिंचाई मंत्री डा. संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा कुमारी चुनाव लड़ रही है।
एनडीए गठबंधन के हम पार्टी से गया जिले में टिकारी, अतरी, बाराचट्टी, इमामगंज से पार्टी चुनाव मैदान में हैं।
कहलगांव में कांग्रेस से ही ठन गई है राजद की
भागलपुर जिले के कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में भी महागठबंधन के दो घटक दलों कांग्रेस और राजद के बीच फ्रेंडली फाइट है।
यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। यहां से प्रवीण सिंह कुशवाहा कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। राजद ने भी यहां झारखंड सरकार में मंत्री संजय यादव के पुत्र रजनीश को टिकट दिया है।
जदयू से कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्व. सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश मैदान में हैं। भाजपा से बागी हुए विधायक पवन यादव भी चुनाव लड़ रहे हैं।
नरकटियागंज में महागठबंधन के दो प्रत्याशियों के होने से लड़ाई रोचक है। यहां भाजपा ने विधायक रश्मि वर्मा का टिकट काटकर संजय पांडेय को खड़ा किया है।
इनके स्थानीय नहीं होने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। दूसरी ओर महागठबंधन में सीट शेयरिंग में बात नहीं बन पाने से कांग्रेस से पूर्व उप मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पौत्र शाश्वत केदार और राजद से बगहा चीनी मिल के मालिक दीपक यादव खड़े हैं।
दीपक के लिए तेजस्वी यादव सभा कर चुके हैं। संजय पांडेय के बाहरी होने से कार्यकर्ताओं की नाराजगी का जो नुकसान भाजपा को दिख रहा है, वह महागठबंधन के बंटते वोट के चलते शायद ही नुकसान दे पाए।
मखदुमपुर में खेल बिगाड़ने की जुगत
अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित मखदुमपुर सुरक्षित सीट पर 2015 से राजद का कब्जा रहा है। 2015 में 26 हजार 777 और 2020 में 22 हजार 565 मत से हम के उम्मीदवार को हराकर राजद ने जीत हासिल की थी।
2005 में भी यह सीट राजद के पास थी। इस बार राजद ने पूर्व विधायक सूबेदार दास और लोजपा रामविलास से जहानाबाद नगर परिषद की अध्यक्ष रानी कुमार मैदान में हैं।
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