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    Bihar Election 2025: मसौढ़ी विधानसभा चुनाव में मुद्दे हुए गायब, चुनावी रंग में जातीय रंग घुला

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 11:54 PM (IST)

    बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही मसौढ़ी में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। इस बार चुनाव में विकास के मुद्दे गायब हैं और जातिवाद का बोलबाला है। राजनीतिक दल जातिगत समीकरणों को साधने में जुटे हैं।

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    मसौढ़ी विधानसभा के चुनावी रंग में जातीय रंग घुला। फोटो जागरण

    राहुल कुमार, धनरुआ। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है आम लोग भी चुनावी अखाड़े में कूद पड़े है।चुनाव की चर्चा हर जगह हो रही है। दस दिन पूर्व तक चुनावी मुद्दे की बात मतदाता कर रहे थे, लेकिन मतदान का समय नजदीक आते ही चुनावी रंग से सरावोर मदतदाता जातीय रंग में सरावोर हो गए।

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    विधानसभा के सारे मुद्दे हवा हवाई हो गए। प्रत्याशी भी जातीय समीकरण साध कर प्रचार प्रचार कर रहे है। राजद से रेखा देवी ,जदयू से अरुण मांझी व जनसुराज से राजेश्वर मांझी चुनावी मैदान में है।

    वर्तमान विधायक रेखा देवी तीसरी बार हैट्रिक लगाने की जोरदार आजमाईश कर रही है। वही जदयू से अरुण मांझी दूसरी बार विघायक बनाने को लेकर जनता से आशीर्वाद मांग रहे है।

    तीसरी चर्चा जनसुराज का जहां लोग विकल्प के तौर पर देख रहे है। इलाके में जो पांच मुख्य समस्याएं शिक्षा की मुकम्मल व्यवस्था नहीं, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, गरीबी व पलायन की समस्याएं मुंह बाए खड़ी है।

    एक अच्छे कॉलेज की व्यवस्था नही होना ,रोजगार के लिए कोई व्यवस्था नही होना मुद्दा बना हुआ था।स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल ओर भी निचले स्तर पर है। मसौढ़ी में पोस्टमार्टम हाउस चालू नही होना,धनरुआ पीएचसी में एक्सरे की सुविधा नदारद है।

    जागरण पंचायत क्लब के अध्यक्ष नागमणि उर्फ तनिक कुमार बताते है कि पटना से सटे धनरुआ सरकारी अस्पताल में एक एक्सरे की व्यवस्था नही है। गरीब लोगों को मसौढ़ी या पटना जाना पड़ता है।

    वहीं अनुमण्डली अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस चालू नही होना सवाल पैदा कर रहा है। मसौढ़ी विधानसभा का इलाका जो पटना से सटा है लेकिन काफी पिछड़ा है। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अरविंद कुमार बताते है कि विघायक नली गली बनाने में उलझी रही।

    शिक्षा और स्वाथ्य को लेकर कोई ठोस कार्य नही कर सकी। कमीशन का धंधा अनुमंडल से लेकर प्रखंड स्तर पर बड़े पैमाने पर है। हालांकि, चुनाव नजदीक आते ही चुनावी मुद्दे गायब हो गए। मतदाता से लेकर नेता तक जातीय रंग के रंग में डुबकी लगा कर नैया पार लगाने की जुगत में है।सीधा मुकाबला जदयू व राजद में है। इलाके में समस्याएं बरकरार रहेगी।