Bihar: नोट कर लें तारीख! 31 मार्च के बाद शिक्षा विभाग में होगा बड़ा बदलाव, ACS ने लिख दिया लेटर
बिहार के शिक्षा विभाग में 31 मार्च से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सभी जिलों में शिक्षा विभाग के विकास कार्यों की कमान बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम (बीएसईआईडीसी) के अधीन होगी। जिला शिक्षा अधिकारियों के जिम्मे केवल विद्यालयों में शैक्षणिक सुधार कार्य करना होगा। इस बदलाव का उद्देश्य शिक्षा विभाग की योजनाओं का समरूप और समेकित रूप से गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।
राज्य ब्यूरो, पटना। 31 मार्च के बाद बिहार के सभी जिलों में शिक्षा विभाग के विकास कार्यों की कमान बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम (BSEIDC) के अधीन होगी। जिला शिक्षा अधिकारियों के जिम्मे केवल विद्यालयों में शैक्षणिक सुधार कार्य करना होगा।
इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से बुधवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने संबंध में पत्र भी जारी किया है।
एसीएस ने अपने लेटर में क्या लिखा?
उनके लिखे पत्र के मुताबिक, विकास कार्यों के निरीक्षण एवं समीक्षा के क्रम में यह पाया गया है कि शिक्षा विभाग के विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों का क्रियान्वयन अनेक एजेंसी करा रही है, जिसमें बिहार राज्य शिक्षा परियोजना, बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, जिला परिषद, भवन निर्माण विभाग, जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रधानाध्यापक आदि द्वारा कराये जा रहे विकासात्मक कार्य शामिल हैं।
ई-शिक्षा कोष पर अपलोड किए गए आंकड़ों की समीक्षा में क्रम में यह पाया गया है कि जिला स्तर पर असैनिक कार्यों का क्रियान्वयन किए जाने के कारण जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तथा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जिला के विद्यालयों के शैक्षणिक कार्यों के अनुश्रवण में पर्याप्त समय नहीं देते हैं।
इस कारण से शिक्षा विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजनाओं के समरूप एवं समेकित रूप से गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन में कठिनाई हो रही है।
विकास कार्यों में कहां आ रही अड़चन?
पत्र के मुताबिक, वर्तमान में जिलास्तरीय कमेटी के माध्यम से जिला स्तर पर विकास कार्यों को क्रियान्वित करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी अधिकत्तम 50 लाख तक की योजना ले सकते हैं। ऐसी स्थति में एक ही विद्यालय परिसर की अनेक योजनाएं 50 लाख की सीमा के अंदर सीमित कर क्रियान्वित की जा रही है।
इस कारण एक विद्यालय का समेकित विकास नहीं हो पा रहा है और साथ ही साथ एक ही परिसर में अनेक संवेदक कार्यरत हैं। चयनित योजनाओं की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है तथा योजनाओं की गुणवत्ता के अनुश्रवण में कठिनाई हो रही है।
वर्तमान में बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड केवल 50 लाख से अधिक राशि की योजना के क्रियान्वयन के लिए प्राधिकृत है, जबकि इस निगम का गठन शिक्षा विभाग के सभी प्रकार के विकास कार्यों को करवाने के लिए किया गया है।
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