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    Bihar News: ई-शिक्षा पोर्टल पर अलग-अलग अपलोड होगी सरकारी व निजी स्कूलों के छात्रों की सूची, शिक्षा विभाग का आदेश

    बिहार शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और निजी विद्यालयों को निर्देश दिया है कि वे अपने छात्र-छात्राओं की सूची ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करें। विभाग के मुताबिक पहली से बारहवीं कक्षा के सभी बच्चों के बारे में पूरा रिकार्ड पोर्टल पर अपलोड किया जाना है। अभी तक सरकारी विद्यालयों के एक करोड़ 76 लाख एवं निजी स्कूलों के 22 लाख बच्चों की सूची पोर्टल पर दर्ज की जा चुकी है।

    By Dina Nath Sahani Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 04 Oct 2024 07:55 PM (IST)
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    शिक्षा विभाग की ओर से सभी नामांकित बच्चों की सूची अपलोड करने का निर्देश। (सांकेतिक फोटो)

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के सरकारी और निजी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं की सूची ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अल-अलग अपलोड होगी। इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से शुक्रवार को सभी जिलों को निर्देश जारी किया गया।

    जारी आदेश के मुताबिक, राज्य के सरकारी एवं निजी विद्यालयों में पढ़ रहे बिना आधार नंबर वाले विद्यार्थियों की सूची भी ई-शिक्षाकोष पर अपलोड किया जा रहा है।

    राज्य के सरकारी एवं निजी स्कूलों के बच्चों की अलग-अलग सूची पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इस निर्देश का पालन करना अनिवार्य है।

    शिक्षा विभाग के मुताबिक, पहली से बारहवीं कक्षा के सभी बच्चों के बारे में पूरा रिकार्ड पोर्टल पर अपलोड किया जाना है। सरकारी विद्यालयों के एक करोड़ 76 लाख एवं निजी स्कूलों के 22 लाख बच्चों की सूची पोर्टल पर दर्ज किया जा चुका है।

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    ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर दर्ज किए गए सरकारी विद्यालयों के एक करोड़ 76 लाख बच्चों की सूची में एक करोड़ 55 लाख ऐसे बच्चे हैं, जिनका विवरण आधार नंबर के साथ दर्ज हुए हैं। शेष 21 लाख बच्चे बिना आधार नंबर के हैं।

    विभाग ने पहले निर्देश दे रखा है कि ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर बच्चों की सूची आधार नंबर के साथ ही अपलोड किया जाना था। लेकिन, लगभग 50 लाख बच्चों के आधार कार्ड नहीं बने पाये हैं। इसलिए बिना आधार कार्ड वाले बच्चों की सूची भी ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करने के लिए विभाग की ओर से निर्देश जारी किया गया है।

    साथ ही, विभाग द्वारा निर्देश दिया गया है कि जिन बच्चों के आधार कार्ड नहीं हैं, उनका आधार कार्ड बनवाया जाए ताकि विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों की वास्तविक संख्या विभाग को प्राप्त हो सके।

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