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    Digital Arrest: महिला प्रोफेसर को अपने इशारे पर 48 घंटे तक दौड़ाते रहे साइबर अपराधी, गंवा दिए 3.07 करोड़ रुपये

    साइबर अपराधियों ने एक सेवानिवृत्त महिला प्रोफेसर को 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उनके खातों से 3.07 करोड़ रुपये निकाल लिए। महिला को डराया गया कि उनके ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। महिला ने डर के मारे अपनी एफडी तक तोड़ दी और साइबर अपराधियों के बताए खातों में पैसे भेजती रही। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है।

    By Prashant Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 20 Nov 2024 02:08 PM (IST)
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    साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग महिला को बनाया डिजिटल बंदी (जागरण ग्राफिक्स)

    प्रशांत कुमार, पटना। साइबर अपराधियों के जाल में फंस 3.07 करोड़ रुपये गंवा देने वाली सेवानिवृत्त महिला प्रोफेसर को किस तरह डिजिटल अरेस्ट कर मानसिक यातनाएं दी गईं, उनके चेहरे का खौफ अभी भी बता रहा है। कदमकुआं में रहने वाली पीड़िता वह सब करती रहीं, जो अपराधी निर्देशित करते रहे। वीडियो कॉल पर ही सोना, खाना और बैंक जाकर फिक्स डिपॉजिट तोड़कर साइबर ठगों के बताए खाते में आरटीजीएस से पैसे भेजती रहीं।

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    प्राथमिकी के लिए आवेदन लिखने में उनके हाथ कांप रहे थे। 48 घंटे का वह खौफनाक मंजर याद कर बुजुर्ग महिला पुलिस अधिकारियों के सामने सिहर जा रही थीं। डिजिटल अरेस्ट के उन घंटों में उन्होंने वीडियो कॉल पर ही सोना, खाना, पीना आदि सब किया। अपराधियों के निर्देश पर बार-बार बैंक जाकर चेक से आरटीजीएस के माध्यम से अलग-अलग खातों में रकम भेजती रहीं।

    जब कथित तौर पर एनओसी दी गई, तब महिला ने राहत की सांस ली। उनकी आंखों के आगे तब अंधेरा छा गया, जब मालूम हुआ कि दो दिनों तक चला अनुसंधान का नाटक साइबर अपराधियों के ठगने का तरीका था, जिसे डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है और उनकी गाढ़ी जमा-पूंजी लुट चुकी है।

    एक कॉल ने कर दिया तबाह:

    पति के देहांत के बाद प्रोफेसर घर में अकेली रहती थीं। सामान्य दिनचर्या के बीच पांच नवंबर को दोपहर 12 बजे के आसपास अनजान नंबर से एक काल आया और उन्हें तबाह कर गया। कॉल करने वाले ने बताया कि उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का क्रेडिट कार्ड अप्लाई किया था, जिससे एक लाख 15 हजार 430 रुपये खर्च हो चुके हैं। उन पर एफआईआर की गई है, क्योंकि ये रकम मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भेजी गई थी।

    इस केस को नरेश गोयल देख रहे हैं, जो सीबीआई के फ्रॉड ग्रुप के इंचार्ज हैं। अब आप संदिग्ध हैं। जब महिला ने कहा कि उन्होंने कोई क्रेडिट कार्ड अप्लाई ही नहीं किया है। तब कॉल करने वाले ने अपना सीनियर बता कर दूसरे व्यक्ति से बात कराई।

    फोन पर भेजा अरेस्ट वारंट:

    कॉल पर आए दूसरे व्यक्ति ने फोन पर ही अरेस्ट वारंट भेजा। उसने अपना नाम के शिवा सुब्रामनी बताया। फिर, वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट कर लिया। सुब्रामनी ने कहा कि यह सीरियस केस है। इस बारे में आप किसी को नहीं बताइएगा, वरना पूरे परिवार पर जान का खतरा हो जाएगा। कहा, आपको अपने सारे पैसे सुप्रीम कोर्ट भेजने होंगे, जिसकी निगरानी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जांच की जाएगी।

    महिला को डराया गया कि पुलिस स्टेशन से अरेस्ट वारंट आया है, इसलिए आपको घर पर ही कैद रखा जा रहा है। आपके घर की निगरानी हमारा आदमी आनंद कर रहा है, जिसका मोबाइल नंबर भी महिला को दिया गया।

    एनओसी मिलने तक भेजती रहीं रकम:

    महिला से कहा गया कि आपके पास ब्लैकमनी है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है। ऐसी ही बातें कहकर साइबर अपराधियों ने उन्हें डराया था। यह भी कहा था कि यदि बिना अनुमति उन्होंने कहीं कॉल किया या घर से बाहर निकलीं तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया उनकी सारी संपत्ति जब्त कर लेगा। महिला प्रोफेसर ने अपनी एफडी तक तोड़ डाली। साइबर अपराधी से अनुमति लेकर वह बैंक जातीं और आरटीजीएस से रुपये भेजती थीं। वे बाहर भी किसी को यह बात नहीं बता पाईं, क्योंकि उन्हें बताया गया था कि आनंद हरेक गतिविधि पर नजर रख रहा है।

    विशेष टीम कर रही खातों की जांच:

    साइबर अपराधियों ने महिला प्रोफेसर को बताया था कि उनके नाम से हैदराबाद के केनरा बैंक में खाता खुला है। हालांकि, उनका खाता एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ, इंडियन बैंक और एसबीआइ में है। एसबीआइ के खाते से ही उन्होंने कई एफडी कर रखी थी। अब तक जांच में मालूम हुआ कि हैदराबाद के पांच बैंक खातों में महिला प्रोफेसर के अकाउंट से रुपये भेजे गए थे। साइबर थाने की पुलिस की विशेष टीम पूरे मामले की जांच में जुट गई है।

    थानेदार सह डीएसपी राघवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जिन खातों में रकम भेजी गई थी, उनके धारकों का पता लगाया जा रहा है। रुपये पश्चिम बंगाल की ट्रेवल एजेंसी और निर्माण कंपनी के साथ ही अहमदाबाद और कर्नाटक स्थित बैंकों के खाते में स्थानांतरित की गई है। जांच में अभी तक पांच खातों का पता चला है, जिसमें अपराधियों ने रुपये स्थानांतरित कराया।

    क्या है मामला?

    साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग महिला को झांसे में लेकर पांच नवंबर से सात नवंबर तक एक तरह डिजिटल अरेस्ट कर लिया। यह साबित कर दिया कि उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग की है और भय दिखाकर उनके खातों से 3.07 करोड़ रुपये निकलवा लिए।

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