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    'चुनाव आयोग का विज्ञापन बड़े षड्यंत्र की है आहट', वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर कांग्रेस ने बोला हमला

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 06:20 PM (IST)

    बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग पर हमला बोला है। उन्होंने आयोग के विज्ञापन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे षड्यंत्र की बू आ रही है। कांग्रेस 9 तारीख को चक्का जाम करेगी और बात नहीं मानी गई तो पूरे बिहार में आंदोलन किया जाएगा।

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    मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस ने आयोग और भाजपा पर बोला हमला। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष सरकार और चुनाव आयोग पर हमलावर है। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए रविवार को बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अध्यक्ष राजेश राम ने चुनाव आयोग पर जोरदार हमला बोला है।

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    राजेश राम ने चुनाव आयोग के आज के विज्ञापन को लेकर कहा कि आज जो विज्ञापन छपा है उसमें कागजातों और तस्वीरों को लेकर सूचना छपी है कि उनकी आवश्यकता मतदाता पुनरीक्षण में नहीं है। इससे चुनाव आयोग के बड़े षड्यंत्र की बू आ रही है।

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रविवार को कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रेस प्रतिनिधियों से बात कर रहे थे। उन्होंने एलान किया कि इसके विरोध में पार्टी 9 तारीख को चक्का जाम करेगी इसके बाद भी बात नहीं मानी गई तो पूरे बिहार में आंदोलन किया जाएगा।

    उन्होंने कहा आयोग के पोस्टर में कहा गया है कि यदि आवश्यक दस्तावेज और फोटो उपलब्ध नहीं हैं, तो बस नामांकन फॉर्म भरें और उसे बूथ स्तर अधिकारी को दें। इसमें आगे अहम बात यह जोड़ी गई है कि यदि आप आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, तो चुनाव रजिस्ट्रेशन अधिकारी स्थानीय जांच या अन्य दस्तावेजों के आधार पर निर्णय ले सकता है।

    इसका अर्थ यह है कि ईआरओ उन लोगों से मिलने मौके पर जाएंगे जिन्होंने दस्तावेज जमा नहीं किए हैं। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि फॉर्म भरने वाला व्यक्ति 18 वर्ष का है या नहीं, उस क्षेत्र में निवास की अवधि की जानकारी लेंगे, आसपास के लोगों से बात करेंगे और उपलब्ध साक्ष्य व दस्तावेजों के आधार पर निर्णय लेंगे।

    उन्होंने कहा यह विज्ञापन न सिर्फ चुनाव आयोग की अकर्मण्यता की पोल खोलता है अपितु बिहार विधान सभा में सत्ता धारी दल की अनैतिक मदद की शंका भी पैदा करता है। उन्होंने आयोग से अपने कुछ प्रश्नों के जवाब भी मांगे हैं।

    जिन सवालों के जवाब मांगे गए हैं उनमें इस पूरी प्रक्रिया की प्रासंगिकता क्या रह गई है ? क्या यह एक नियोजित षड्यंत्र है और कुछ राजनैतिक दलों को लाभ पहुंचाकर लोगों के नाम मतदाता सूची से काटने का प्रयास। अगर अंतिम निर्णय ईआरओ के विवेक पर छोड़ा गया है तो क्या बहुत बड़ी संख्या में भाजपा और जेडीयू की सरकार दबाव बनाकर वोटर लिस्ट में मनमानी नहीं करेगी?

    प्रेस कांफ्रेंस में मदन मोहन झा, प्रेम चंद मिश्र, राजेश राठौड़, सौरभ सिंहा, असित नाथ तिवारी व अन्य नेता मौजूद रहे।

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