Bihar Politics: चुनिंदा नेताओं के भरोसे अब नहीं चलेगी कांग्रेस, राजेश राम और अल्लावारू को जनवरी तक का समय
बिहार कांग्रेस में अब चुनिंदा नेताओं के भरोसे पार्टी नहीं चलेगी। आलाकमान ने राजेश राम और अल्लावारू को संगठन मजबूत करने के लिए जनवरी तक का समय दिया है। पार्टी में गुटबाजी और खींचतान को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। आलाकमान बिहार में कांग्रेस को मजबूत और एकजुट देखना चाहता है।

अल्लावारू और राजेश राम नए सिरे से खड़ा करेंगे संगठन। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics: विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार कांग्रेस के सामने फिर यह कठोर सच रख दिया कि संगठनात्मक कमजोरी किसी भी राजनीतिक दल को हाशिये पर धकेल सकती है।
दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में पार्टी हाईकमान ने स्पष्ट स्वीकार किया कि चुनावी परिणाम केवल बाहरी परिस्थितियों का नहीं, बल्कि भीतर से जर्जर हो चुके संगठन का भी दर्पण हैं। लिहाजा अब पार्टी ने प्रदेश नेतृत्व को नए सिरे से संगठन के पुनर्गठन का टास्क सौंपा है।
प्रदेश प्रभारी व अध्यक्ष को सौंपा टास्क
कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को प्रखंड से प्रदेश स्तर तक संगठन को नए सिरे से खड़ा करने का निर्देश दिया है।
संभवत: यह पहला मौका है जब कांग्रेस हाईकमान ने माना है कि बिहार में नेतृत्व तो नियुक्त होता रहा, लेकिन संगठन नहीं बन पाया। पूर्व कांग्रेस नेता अशोक चौधरी के पार्टी छोड़ने के बाद हुए चार अध्यक्ष मदन मोहन झा, कौकब कादरी, अखिलेश प्रसाद सिंह और राजेश राम के पास पूरी कमेटी ही नहीं थी।
जिला और प्रखंड स्तर की इकाइयां रहीं निष्क्रीय
महज कुछ चुनिंदा नेताओं के भरोसे पूरे प्रदेश संगठन को चलाया गया। जिला और प्रखंड स्तर की इकाइयां निष्क्रिय ही रही। पार्टी हाईकमान का निर्देश है कि जनवरी 2026 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नए सिरे से गठन कर लिया जाए।
परंतु, यह केवल औपचारिक पुनर्गठन भर न हो, बल्कि जमीन पर मजबूत और काम करने वाला संगठन बने। प्रदेश नेतृत्व को ऐसे नेताओं की सूची तैयार करने को कहा गया है जिनका वास्तविक सामाजिक और राजनीतिक नेटवर्क हो, न कि केवल नाममात्र की सक्रियता।
दरअसल, बिहार कांग्रेस एक अंतर्विरोध से जूझती रही है। केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे बड़े चेहरे तो आते हैं, लेकिन उन्हें जमीन देने वाला ढांचा ही मौजूद नहीं। अब जब जिम्मेदारी प्रदेश नेतृत्व को दी गई है।
यह बड़ा दायित्व है है इस उम्मीद कि साथ ही जो संगठन बने वह कार्यकर्ता आधारित, जवाबदेह और जमीन पर काम को उतारने वाला हो।

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