Bihar: चुनावी चौसर पर दांव आजमाने आए नए मोहरे, PK और RCP के बाद शिवदीप लांडे और IP गुप्ता की एंट्री
बिहार में चुनावी माहौल गरमा गया है। प्रशांत किशोर आरसीपी सिंह शिवदीप लांडे और आईपी गुप्ता जैसे नए चेहरे मैदान में उतरे हैं। जातीय समीकरणों पर आधारित इन दलों में जन सुराज पार्टी उपचुनाव में 10% वोट पाकर दमदार दिख रही है। देखना यह है कि क्या ये नए दल बिहार की चुनावी चौसर पर कोई असर डाल पाते हैं या नहीं।
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। विधानसभा के पिछले दो चुनावों की परिस्थिति एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न थी। अलबत्ता एक समानता तटस्थ मतदाताओं को लेकर रही, जो आमने-सामने के दोनों गठबंधनों से इतर तीसरे विकल्प की तलाश में थे। उनकी संख्या 20-25 प्रतिशत रही है।
उन्हीं एक चौथाई मतदाताओं के बूते चुनावी चौसर पर इस बार भी नए मोहरे उछलने लगे हैं। पिछले सात महीनों में चार नए दलों का गठन हो चुका है, जो विधानसभा चुनाव में दांव आजमाएंगे।
जातीय और क्षेत्रीय आधार पर दलों के बनने-बिगड़ने की परंपरा प्राय: हर चुनाव में रही है, लेकिन इस बार जोर-जोश कुछ अधिक ही है। ऐसा तब जबकि इक्का-दुक्का उदाहरण को छोड़ शेष प्रयोग बहुत सफल नहीं रहे। बहरहाल नवगठित दलों में एकमात्र जन सुराज पार्टी (जसुपा) ही तनिक दमदार प्रतीत हो रही।
4 सीटों पर उपचुनाव में मिले 10 प्रतिशत वोट
विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में 10 प्रतिशत मत पाकर उसने इसका आभास भी कराया है। उससे पहले रूपौली के उपचुनाव में निर्दलीय शंकर प्रसाद की जीत में उसकी रणनीति का बड़ा योगदान रहा है। शेष तीनों दल (आसा, हिंद सेना और आईआईपी) भी उसी की तरह प्रभावी हों, इस पर संशय है।
2020 में 0.3 प्रतिशत वोट पाने वाली पुष्पम प्रिया की प्लूरल्स पार्टी इसका प्रमाण है। वह जिन 102 सीटों पर मैदान में थी, उनमें से मात्र तीन में तीसरे स्थान पर रही। तब 212 पार्टियां मैदान मेंं थीं। आमने-सामने के गठबंधन (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और महागठबंधन) को 74.49 प्रतिशत मत के साथ 235 सीटें मिली थीं।
पान के कारोबार और कताई-बुनाई के काम से जुड़े तांती-ततवा समाज में अपना भविष्य देख रही इंडियन इन्किलाब पार्टी (आईआईपी) का प्रभाव अनिश्चित है। इक्का-दुक्का सीटों पर आईआईपी समाज विशेष के दृष्टिकोण को थोड़ा-बहुत प्रभावित कर सकती है, क्योंकि आधार जनसंख्या 18-20 लाख से अधिक नहीं।
लांडे पर बाहरी का ठप्पा
हिंद सेना का गठन करने वाले महाराष्ट्र के मूल निवासी शिवदीप लांडे (Shivdeep Lande) पर तो पहले से ही बाहरी का ठप्पा लगा हुआ है। बचे आरसीपी सिंह के लिए 2005 का दृष्टांत उचित होगा। तब रामविलास पासवान के साथ मिलकर रंजन यादव ने राजद को काफी नुकसान पहुंचाया था।
उससे पहले तक वे लालू के विश्वस्तों में हुआ करते थे। संभव है कि आरसीपी सिंह भी जदयू के लिए ऐसी मंशा रखते हों, लेकिन इसके लिए उन्हें विरोधी गठबंधन के साथ समन्वय बनाना होगा। उसकी संभावना नहीं के बराबर है।
नई चौकड़ी
जसुपा: 02 अक्टूबर, 2024 को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जसुपा का गठन किया। पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जनसंख्या के अनुपात में विभिन्न समाज-वर्ग को टिकट मिलना है।
आसा: पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने 31 अक्टूबर, 2024 को आसा का गठन किया। 140 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। सात प्रतिशत की जनसंख्या वाले कुर्मी-कुशवाहा का आसरा है।
हिंद सेना: सितंबर, 2024 में शिवदीप वामनराव लांडे ने आईजी के पद से त्यागपत्र दिया था। 08 अप्रैल, 2025 को उन्होंने हिंद सेना के गठन की घोषणा की। पार्टी सभी सीटों पर लड़ेगी और लांडे भी प्रत्याशी होंगे।
आईआईपी: कांग्रेस से त्यागपत्र देकर अखिल भारतीय पान महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर आईपी गुप्ता ने 13 अप्रैल को आईआईपी का गठन किया। सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।
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