पटना में बड़ा खुलासा: पूरी हो चुकी योजनाओं का फिर हुआ टेंडर, 105 डुप्लीकेट प्रोजेक्ट पकड़े गए, 32 रद
बिहार में विकास योजनाओं की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। 105 'डुप्लीकेट प्रोजेक्ट' पाए गए, जिनमें पहले से पूरे हो चुके कार्यों के लिए दोबारा टेंडर जारी ...और पढ़ें

पूरी हो चुकी योजनाओं का फिर हुआ टेंडर
जागरण संवाददाता, पटना। राज्य में चल रही विकास योजनाओं की जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। जांच में पाया गया कि कई ऐसी योजनाएं, जिनका निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका था, उन्हें दोबारा टेंडर कर दिया गया। इस तरह के मामलों को ‘डुप्लीकेट प्रोजेक्ट’ की श्रेणी में रखा गया है। अब तक की जांच में कुल 105 ऐसे डुप्लीकेट प्रोजेक्ट सामने आए हैं, जिनमें से 32 योजनाओं को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। इस कार्रवाई से लगभग 250 करोड़ रुपये के संभावित घोटाले पर रोक लगाई जा सकी है।
मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना के तहत बिहार के सभी 38 जिलों में बड़ी संख्या में निर्माण परियोजनाएं स्वीकृत की गई थीं। उत्तर और दक्षिण बिहार में कुल 4787 परियोजनाओं को चयनित किया गया था।
लेकिन निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही जांच में यह गड़बड़ी सामने आ गई कि कई स्थानों पर जिन कार्यों का निर्माण पहले ही हो चुका है, उन्हीं कार्यों के लिए दोबारा परियोजना चयन कर राशि आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
जांच एजेंसियों के अनुसार डुप्लीकेट प्रोजेक्ट का अर्थ यह है कि जिस निर्माण कार्य का काम पहले ही पूरा हो चुका हो, उसी काम के लिए फिर से योजना बनाकर टेंडर जारी कर दिया जाए।
यदि समय रहते इसकी पहचान नहीं होती तो इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो सकता था। शुरुआती आकलन में बताया गया है कि यदि ये प्रोजेक्ट आगे बढ़ जाते तो करीब 250 करोड़ रुपये का घपला हो सकता था।
पटना जिले में भी इस तरह के कई मामले सामने आए हैं। राजधानी के कुछ इलाकों में सड़क, नाली, पीसीसी पथ और अन्य शहरी सुविधाओं से जुड़े निर्माण कार्य पहले ही पूरे हो चुके थे।
इसके बावजूद उन्हीं सड़कों और संरचनाओं के लिए दोबारा टेंडर निकाले गए। एक उदाहरण में बताया गया है कि पटना के बाईपास रोड पर जून महीने में सड़क का निर्माण पूरा किया गया था, लेकिन महज तीन महीने बाद उसी सड़क को फिर से शहरी योजना में शामिल कर टेंडर जारी कर दिया गया। जांच के बाद इस टेंडर को रद्द कर दिया गया।
बताया जा रहा है कि डुप्लीकेट प्रोजेक्ट केवल पटना तक सीमित नहीं हैं। राजधानी क्षेत्र के अलावा औरंगाबाद, गया, मुंगेर, नालंदा, नवादा, बक्सर, कटिहार, पूर्णिया और सिवान समेत कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं। राजधानी अंचल के करीब 15 प्रोजेक्ट जांच के दायरे में आए, जिनमें से कई को रद्द किया गया है।
इस पूरे मामले में बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बुडको) की भूमिका भी जांच के घेरे में है। मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना के तहत निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी बुडको को सौंपी गई है।
टेंडर प्रक्रिया से पहले बुडको द्वारा सभी परियोजनाओं की फिजिकल जांच की जानी थी, लेकिन इसी प्रक्रिया में बड़ी संख्या में गड़बड़ियां सामने आईं। बाद में बुडको एमडी के निर्देश पर जांच का दायरा बढ़ाया गया, जिसके बाद 105 से अधिक डुप्लीकेट प्रोजेक्ट चिन्हित किए गए।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि पहले अधिकांश टेंडर ऊंची दरों पर जारी किए जाते थे। अब नई व्यवस्था के तहत बिल ऑफ रेट (बीओआर) पर टेंडर जारी किए जा रहे हैं, जिससे लागत में पारदर्शिता आई है। अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव से भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों पर काफी हद तक रोक लगेगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार जिन 32 परियोजनाओं को रद्द किया गया है, वे अधिकतर शुरुआती चरण में थीं। शेष परियोजनाओं की गहन जांच जारी है।
जिन योजनाओं में गड़बड़ी पाई जाएगी, उनके खिलाफ न केवल टेंडर रद्द होंगे बल्कि संबंधित इंजीनियरों और अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। विभागीय स्तर पर जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उधर, विपक्ष ने इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यदि समय रहते जांच नहीं होती तो यह एक बड़ा घोटाला बन सकता था।
वहीं, सरकार का दावा है कि यह पूरी कार्रवाई पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए की गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक आगे भी सभी योजनाओं की चरणबद्ध समीक्षा की जाएगी, ताकि विकास कार्यों में किसी तरह की अनियमितता न हो।
फिलहाल, पटना समेत पूरे बिहार में इस खुलासे के बाद शहरी विकास योजनाओं की निगरानी और सख्त कर दी गई है। सरकार का कहना है कि जनता के पैसे का दुरुपयोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई तय है।

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