बिहार में पैक्सों से जुड़ी बड़ी खबर, अब बैंक मित्र के रूप में करेंगे कार्य, गांव के युवाओं को मिलेगा रोजगार
पंचायत स्तर पर नोडल डिलीवरी सर्विस सेंटर की भूमिका में होंगे प्राथमिक कृषि साख समितियां (पैक्स)। प्रत्येक पैक्स के कंप्यूटरीकरण पर चार लाख होंगे खर्च राज्य में पैक्सों की संख्या 8463 है। सहकारिता मंत्रालय की ओर से जारी किया गया गाइडलाइन।

दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार में कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के विकास और सहकारिता क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए 8,463 प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को पंचायत स्तर पर नोडल डिलीवरी सर्विस सेंटर के रूप में तैयार किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक पैक्स पर चार लाख रुपये खर्च होंगे। पैक्स के नए कार्य रूप में आने से एक सेंटर पर कम से कम दस लोगों को नौकरी मिलेगी।
सहकारिता मंत्रालय की ओर से इस संबंध में गाइडलाइन जारी किया गया है, जिसमें पैक्सों का दायित्व बढ़ाया गया है। ये कार्य पैक्स जिस कायदे-कानून के तहत करेंगे, वह माडल बायलाज मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा। कोआपरेटिव की बिगड़ी छवि सुधारने के लिए पैक्स से लेकर राष्ट्रीय फेडरेशन तक के चुनाव की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इसका दायित्व केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपे जाने का भी सुझाव है।
एक साफ्टवेयर से जुड़ेंगे सभी पैक्स
पैक्सों के एक समान कामकाज के लिए राज्यों की सहमति से केंद्र सरकार एक माडल बायलाज को तैयार किया है और पारदर्शी तरीके से व्यवसाय के संचालन के लिए एक साफ्टवेयर भी इस्तेमाल किया जाएगा। यह साफ्टवेयर स्थानीय भाषाओं में होगा, जिसमें राज्य अपनी आवश्यकता के मुताबिक फैसला ले सकते हैं। पैक्सों को एक भूमिका बैंक मित्र के रूप में दी जाएगी। वहीं पैक्स के तहत कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, लाकर, बीज व खाद वितरण, राशन दुकानों का संचालन, कामन सर्विस सेंटर, दुग्ध एवं शहद उत्पादन और मत्स्य पालन, नल से जल, सिंचाई व्यवस्था और गोबर गैस से ऊर्जा उत्पादन भी होगा। मौजूदा समय में पैक्सों में इन व्यवसायों का कोई प्रविधान नहीं है।
नाबार्ड से भी मिलेगी मदद
पंचायत स्तर पर सहकारिता की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने हाल में यह पहल की है। इसके तहत प्रदेश भर में अगले पांच वर्षों में सभी पैक्सों को नए सिरे से सुदृढ़ बनाया जाएगा। सहकारिता विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हर पैक्स के कंप्यूरीकरण पर तीन लाख 91 हजार खर्च किए जाएंगे। इनमें सहकारिता मंत्रालय का हिस्सा 75 प्रतिशत होगा, जबकि शेष राशि राज्य सरकार और नेशनल कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) की ओर से उपलब्ध होगी। जैविक खेती की पैदावार का विपणन और वितरण भी पैक्स के जिम्मे होगा।
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