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    पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर के लिए स्थायी समिति गठित

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 02:21 PM (IST)

    न्यायाधीश राजीव रॉय की एकलपीठ ने अवमानना याचिका 365/2025 की सुनवाई के दौरान यह दर्ज किया कि धार्मिक न्यास बोर्ड के नव नियुक्त अध्यक्ष ने 12 जून 2025 को पदभार ग्रहण करने के बाद 25 जून 2025 को पहली ही बैठक में मंदिर के लिए पांच वर्षों की अवधि हेतु स्थायी समिति का गठन कर दिया।

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    पटना हाईकोर्ट ने मंदिर प्रबंधन में पारदर्शिता व स्वच्छता को लेकर दिए सख्त निर्देश

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाईकोर्ट ने दरभंगा जिले के श्री बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर के प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को मंदिर समिति की पारदर्शिता, जवाबदेही और स्वच्छता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

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    न्यायाधीश राजीव रॉय की एकलपीठ ने अवमानना याचिका 365/2025 की सुनवाई के दौरान यह दर्ज किया कि धार्मिक न्यास बोर्ड के नव नियुक्त अध्यक्ष ने 12 जून 2025 को पदभार ग्रहण करने के बाद 25 जून 2025 को पहली ही बैठक में मंदिर के लिए पांच वर्षों की अवधि हेतु स्थायी समिति का गठन कर दिया। इस समिति के अध्यक्ष दरभंगा के अनुमंडल पदाधिकारी बनाए गए हैं।

    याचिकाकर्ता संतोष कुमार झा उर्फ संतोष कुमार की ओर से अधिवक्ता पंकज कुमार झा ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से प्रशांत प्रताप उपस्थित थे। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गणपति त्रिवेदी ने पक्ष रखा। प्रतिवादी संख्या 10 की ओर से अधिवक्ता मदन मोहन और ऋतिक शाह उपस्थित रहे।

    याचिकाकर्ता के वकील ने मंदिर की वित्तीय व्यवस्था में पारदर्शिता की मांग करते हुए सुझाव दिया कि—

    • मंदिर की दानपेटियां स्थायी रूप से स्थापित हों।

    • उन्हें केवल पदाधिकारियों की उपस्थिति में ही खोला जाए।

    • मंदिर के बैंक खाते का विवरण और त्रैमासिक बैंक स्टेटमेंट धार्मिक न्यास बोर्ड को सौंपा जाए।

    • समिति एक पृष्ठांकित रजिस्टर में सभी बैठकों की कार्यवाही दर्ज करें।

    • मंदिर परिसर में स्वच्छता और हरियाली सुनिश्चित की जाए।

    • इसके अतिरिक्त, यदि मंदिर परिसर में पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो, तो वहाँ पौधारोपण कर हरियाली बढ़ाई जा सकती है और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेंचें भी लगाई जा सकती हैं।

    अदालत ने इन सुझावों को उचित ठहराते हुए आदेश दिया कि भविष्य में जब भी मंदिर समितियों का गठन किया जाए, उपरोक्त सभी शर्तें अनिवार्य रूप से शामिल की जाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिहार के मंदिरों को दक्षिण भारत के मंदिरों की तरह साफ-सुथरा और सुव्यवस्थित बनाना चाहिए। दानापुर स्थित बिहार रेजीमेंटल सेंटर मंदिर को एक आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए न्यायालय ने कहा कि बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर को भी उस मॉडल पर विकसित किया जाए।

    कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया कि उक्त सभी बिंदुओं को शामिल करते हुए वर्तमान मंदिर समिति को संशोधित आदेश जारी किया जाए और आगामी 8 अगस्त 2025 को अगली सुनवाई के दौरान कार्रवाई का हलफनामा प्रस्तुत किया जाए। साथ ही, यह आदेश अनुमंडल पदाधिकारी-सह-मंदिर समिति अध्यक्ष को भी सौंपे जाने का निर्देश दिया गया है, ताकि वे अदालत के निर्देशों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कर सकें।