Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बेलागंज में अचानक हो गई तेजस्वी और PK के प्रत्याशी की मुलाकात, क्या JDU को मिलेगा फायदा?

    बेलागंज उपचुनाव में दो विपरीत ध्रुवों की मुलाकात ने राजनीति में हलचल मचा दी है। कभी राजद के समर्थक रहे मो. अमजद अब जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी हैं जबकि राजद ने सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और अब एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 05 Nov 2024 07:01 PM (IST)
    Hero Image
    नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, पटना। कभी राजद के तरफदार रहे और बाद में लोजपा-जदयू की टिकट पर बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में मात खा चुके मो. अमजद इस बार उपचुनाव में वहां जन सुराज पार्टी (जसुपा) के प्रत्याशी हैं। राजद के सुरेंद्र यादव के सांसद चुन लिए जाने के कारण वहां उपचुनाव हो रहा है। सुरेंद्र के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह को राजद ने प्रत्याशी बनाया है। चुनाव प्रचार के क्रम में विश्वनाथ और अमजद की मुलाकात हुई तो आमने-सामने बैठकर बातचीत होने लगी। उसके बाद राजनीति में होनी-अनहोनी की चर्चा चल पड़ी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन दिनों बेलागंज में एक वीडियो खूब प्रसारित हो रहा है। उसमें धनावा गांव में फूल-माला पहने विश्वनाथ सिंह बैठे हुए दिख रहे। उनके साथ बैठे लोगों में अमजद भी हैं। यह वीडियो 27 अक्टूबर का बताया जा रहा। विश्वनाथ कुछ कह रहे और अमजद सुन रहे। अब इस वीडियो के जरिये जदयू का प्रयास दोनों दलों में साठगांठ की बात फैलाकर माहौल अपने पक्ष में बनाने का है। जदयू से पूर्व विधान पार्षद मनोरमा देवी प्रत्याशी हैं।

    त्रिकोणीय हो चुके संघर्ष में एक-दूसरे के वोटों में सेंधमारी से ही जीत की राह निकलती है। ऐसे में पंख लगाकर सामान्य बातों को भी उड़ा देने में कोई नहीं चूक रहा।

    याद आ गया 2015 का वो किस्सा

    ऐसी ही एक बात 2015 के चुनाव की है। सुरेंद्र राजद के टिकट पर मैदान में थे। प्रचार के दौरान अचानक अमजद टकरा गए। सुरेंद्र ने उन्हें अपनी गाड़ी में बिठा लिया। हालांकि, तब अमजद जदयू में थे और महागठबंधन मेंं राजद-कांग्रेस के साथ जदयू भी था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रत्याशी रहे शारिम अली चुनाव हार गए थे।

    बहरहाल, अमजद का कहना है कि अचानक भेंट होने पर विश्वनाथ ने उनका पैर छू लिया। किसी से मिलना-जुलना कोई गुनाह नहीं। हमारी चुनौती किसी से नहीं। जीत तो जसुपा की ही होनी है। सुरेंद्र कह रहे कि अमजद भाई जैसे हैं। उनके कारण दो बार वे चुनाव जीते हैं। सुख-दुख में आज भी दोनों साथ हैं और ऐसा आजीवन रहेगा। अमजद तो विश्वनाथ के लिए दूसरे अब्बा जैसे हैं। पिता-पुत्र की मुलाकात सामान्य बात है।

    राजनीति में नहीं होती स्थायी मित्रता या दुश्मनी

    राजनीति में वैसे भी स्थायी मित्रता या दुश्मनी नहीं होती। सारा संबंध संभावना और समीकरण पर आधारित होता है। बेलागंज में इस समीकरण को बदलने के लिए अब तक कई दांव चले गए हैं। हालांकि, हर बार केंद्र में सुरेंद्र और अमजद ही रहे हैं। उनकी घनिष्ठता के किस्से जिस चटखारे के साथ सुनाए जाते हैं, उसी अंदाज में प्रतिद्वंद्विता की चर्चा भी होती है।

    अमजद तीन चुनावों में जीत के लिए सुरेंद्र को तगड़ी चुनौती दे चुके हैं। संभवत: इसी कारण जसुपा ने अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी शराफत हुसैन को बदलते हुए अमजद को मैदान में उतारा। अमजद अब सुरेंद्र की लगातार आठ जीत का आधार रहे माय (मुसलमान-यादव) समीकरण में सेंधमारी की जुगत में हैं। सुरेंद्र अपने राजनीतिक किले को बचाए रखने के लिए जूझ रहे। इन दोनों के दांव-पेच के बीच से मनोरमा सीधे निकल जाने के उपाय में हैं।

    ये भी पढ़ें- इमामगंज की चुनावी नदी में मांझी का पतवार चलाना उतना आसान नहीं, RJD और PK फैक्टर से मिलेगी चुनौती?