नियोजित शिक्षकों को दोहरी मार, न समय पर मिल रहा वेतन और न हीं बैंक लोन
नियोजित शिक्षकों को एक ओर उन्हें चार-छह महीने पर वेतन मिल रहा है तो दूसरी ओर शिक्षकों के बैंक लोन आवेदन पर हस्ताक्षर करने में जिलों के अधिकारी मनमानी कर रहे हैं।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार के नियोजित शिक्षक दो तरफा मार झेल रहे हैं। एक ओर उन्हें चार-छह महीने पर वेतन मिल रहा है तो दूसरी ओर शिक्षकों के बैंक लोन आवेदन पर हस्ताक्षर करने में जिलों के अधिकारी मनमानी कर रहे हैं।
अधिकारियों की इस मनमानी के खिलाफ कई नियोजित शिक्षक संगठनों ने सरकार को लिखित शिकायत भेजी है। शिक्षक संगठनों ने कहा है कि घर में विवाह, घर मरम्मत जैसे कार्यों के लिए यदि नियोजित शिक्षक बैंक कर्ज लेना चाहते हैं तो प्रक्रिया के तहत जिलों के निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) उनके आवेदन पर हस्ताक्षर करना होता है।
अधिकांश मामलों में ऐसा होता है कि निकासी और व्ययन पदाधिकारी हस्ताक्षर करने में आनाकानी करते हैं। मुश्किल से यदि अधिकारी तैयार भी होते हैं तो महज एक हस्ताक्षर के लिए शिक्षकों को काफी दौड़ाया जाता है।
शिक्षकों ने कहा है कि यदि अधिकारी शिक्षकों के साथ इस प्रकार का बर्ताव करेंगे तो शिक्षक मजबूरी में मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे।